बांस मिशन को वन के बजाय कृषि विभाग में लाने की जरूरत, कृषि मंत्री ने सीएम को लिखा पत्र

भोपाल। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने बांस मिशन को वन विभाग के बजाय कृषि विभाग के अधीन लाने की जरूरत पर जोर दिया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप बांस मिशन से किसानों को जोड़कर उनकी आय को दोगुना करने के प्रयासों में तेजी लाई जा सकती है।
शासकीय और निजी नर्सरी में राईजोम की कीमत में बड़ा अंतर
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांस की खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बांस मिशन ने किसानों को सशर्त बांस के पौधे के लिए अनुदान की योजना बनाई है। किसानों से बांस का राईजोम अधिमान्य निजी और शासकीय नर्सरी से लेने के लिए कहा जा रहा है। कमल पटेल ने कहा कि शासकीय नर्सरी में पर्याप्त राईजोम उपलब्ध नहीं है, जबकि शासकीय और निजी नर्सरी में राईजोम की कीमत में बड़ा अंतर है। शासकीय नर्सरी में राईजोम 10-15 रुपये में उपलब्ध है जबकि निजी नर्सरी में यही राईजोम 35-40 रुपए में दिया जा रहा है। शासकीय नर्सरी में राईजोम की कमी से किसान मंहगे दाम पर यह लेने को मजबूर हैं। कमल पटेल ने बांस मिशन की इस शर्त को विलोपित किए जाने की मांग की है जिससे ज्यादा किसान बांस उगाने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
किसानों की आय को दोगुना करने की योजना
पत्र में कहा गया है कि प्रदेश सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। कमल पटेल ने कहा कि गैर वन क्षेत्र में बांस को घास माना गया है, इससे बांस मिशन किसानों, बेरोजगारों और महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण योजना है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाने में भी मदद मिलेगी, बांस मिशन भूमिगत जल क्षेत्र के विस्तार और सूखे क्षेत्र के निराकरण में भी सहायक होगा।
एक दर्जन राज्यों में बांस मिशन कृषि विभाग के अंतर्गत
कमल पटेल ने कहा कि वर्तमान में बांस मिशन वन विभाग द्वारा संचालित है जबकि इसे कृषि विभाग के अधीन लाने की जरूरत है जिससे अधिक से अधिक किसानों को मिशन से जोड़ा जा सके। पत्र में कहा गया है कि देश के एक दर्जन राज्यों में बांस मिशन कृषि विभाग के अंतर्गत है, कमल पटेल ने मध्यप्रदेश में भी यही व्यवस्था लागू करने के लिए शीघ्र निर्णय लिए जाने की मांग की है।
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