NEET UG 2023 : रिजल्ट घोषित, चयनित छात्रों ने बताया सफलता जा राज

NEET UG 2023 : रिजल्ट घोषित, चयनित छात्रों ने बताया सफलता जा राज
X
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से नीट यूजी 2023 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है, जिसमें तमिलनाडु के प्रबंजन जे और आंध्र प्रदेश के बोरा वरुण चक्रवर्ती ने 99.99 पर्सेंटाइल के साथ नीट परीक्षा में टॉप किया है।

भोपाल। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से नीट यूजी 2023 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है, जिसमें तमिलनाडु के प्रबंजन जे और आंध्र प्रदेश के बोरा वरुण चक्रवर्ती ने 99.99 पर्सेंटाइल के साथ नीट परीक्षा में टॉप किया है। वहीं राजधानी भोपाल से भी कई बच्चों का सिलेक्शन हुआ है। हरिभूमि से बातचीत में इन बच्चों ने बताया कि कैसे इस परीक्षा को क्रेक कर अपने परिवार का सपना किया पूरा।

आध्यात्म से जुड़ी हुई हूं तो प्रतिदिन ध्यान लगाती हूं

नाम- समृद्धि सक्सेना

अंक- 693

ऑल इंडिया रैैंक- 598

693 अंकों के साथ समृद्धि सक्सेना को नीट में आॅल इंडिया 598वीं रैैंक मिली है। उन्होंने बताया कि नीट के लिए 2 साल पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। हमारे परिवार में कोई भी मेडिकल फील्ड में नहीं था। पापा का बिजनेस है और मम्मी इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हैैं। उन्होंने मुझ पर कभी अपने फैसले नहीं थोपे, जिससे मैैं स्वयं अपना निर्णय ले सकी। पिछले कुछ समय से आध्यात्म से जुड़ी हुई हूं तो प्रतिदिन ध्यान लगाती हूं। इससे मेरा पढ़ाई पर फोकस बढ़ा। आध्यात्म से जुड़ने का एक और बड़ा फायदा यह भी हुआ कि सोशल मीडिया से दूर बनी रही, क्योंकि जब आप आध्यात्म से जुड़ जाते हैैं तो जीवन का अर्थ समझ में आने लगता है। इससे मैैं मटेरियल वर्ल्ड की बजाए जीवन की सार्थकता तलाशने लगी। प्रतिदिन 7 घंटे की नींद लेती थी। ध्यान करती थी और पढ़ाई करने के साथ भगवद्गीता का पाठ करती थी।

फिजिक्स पर ज्यादा ध्यान दिया

नाम- श्रुति

अंक- 690

ऑल इंडिया रैैंक- 766

वहीं 690 नंबर्स के साथ ऑल इंडिया रैंक 766 लाने वाली भोपाल की श्रुति का कहना है कि मेरे पापा इंजीनियर है और मम्मी कॉमर्स में पीएचडी हैं, लेकिन मेरे से 8 साल बड़ी बहन डॉक्टर है और एमडी कर रही हैं। कोविड के दौरान मैंने देखा कि मेरी सिस्टर कैसे लोगों की जान बचा रही है और दिन रात पेशेंट की सेवा करती थी, तब मुझे उनसे बहुत मोटिवेशन मिला और मैंने इसी फील्ड में जाने की डिसीजन लिया। क्योंकि उनको जो कोरोना वरियर्स का सर्टिफिकेट मिला है, वह कई डिग्री और कई गोल्ड मेडल से ज्यादा बढ़कर है क्योंकि मैं डॉक्टर बनकर गरीब और निचले तबके के लोगों का इलाज कर जनसेवा करना चाहूंगी। श्रुति कहती हैं कि बायो मेरा स्ट्रांग सब्जेक्ट है और जिसमें मैंने सोचा था कि 50% से ज्यादा नंबर लाऊंगी, वहीं फिजिक्स के कुछ टॉपिक्स काफी टफ हैं तो मैंने फिजिक्स पर ज्यादा ध्यान दिया।

वाट्सअप करती और मुझे तुरंत रिप्लाई मिलता

इसके साथ ही जो इंस्टिट्यूट द्वारा 2 महीने में टेस्ट सीरीज कराई गई है उसमें करीब 2 साल की तैयारी को कवर किया है और इसकी खास बात थी इसके तुरंत बाद ही हमारे डाउट क्लियर किए जाते थे और यहां तक की जब मैं पढ़ने बैठती थी तो देर रात मैं अपने डाउट टीचर्स को वाट्सअप करती और मुझे तुरंत रिप्लाई मिलता। यह चीजें मेरे लिए काफी बेनिफिशियल रहीं।

मेरे डाउट क्लियर करने के लिए पैरेंट्स कई बार रात-रात भर जागे

नाम- मनन

अंक- 692

ऑल इंडिया रैैंक- 614 रैंक

692 नंबर लाकर ऑल इंडिया 614 रैंक लाने वाले मनन का कहना है कि मेरी फैमिली बैकग्राउंड एजुकेशन से जुड़ा हुआ है, पापा अकाश अकैडमी में फिजिक्स के लेक्चरार हैं तो मम्मी साइंस बैकग्राउंड से हैं और ट्यूशन लेती हैं, लेकिन इस बिजी शेड्यूल में भी उनका पूरा ध्यान मुझ पर रहता था और मेरे डाउट क्लियर करने में मेरे पेरेंट्स रात रात भर जागे हैं, उनका बहुत सपोर्ट रहा है। बिना ड्रॉप लिए पहले ही अटेंप में सिलेक्ट होने वाले मनन का कहना है कि मैंने शुरू से ही मेडिकल में ही जाने का सोचा था, क्योंकि डॉक्टर एक अलग तरह की सर्विस होती है और खासकर मैंने कोविड में देखा कि डॉक्टर ने किस तरह से लोगों की जान बचाई गई, तो मुझे लगा कि इसी प्रोफेशन में जाना है और इसके लिए मेरी स्ट्रेटजी ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस को सॉल्व करने की रही, सब्जेक्ट वाइज तो फिजिक्स इजी लगता था। केमिस्ट्री बायोलॉजी मैंने एनसीईआरटी से ही पढ़ी है, इसके अलावा कोचिंग की टेस्ट सीरीज से काफी फायदा हुआ। बायोलॉजी में कई ऐसे फेक्ट होते थे कि पापा रात रात भर बैठ कर उनको सर्च करते और मुझे बताते।

12वीं की पढ़ाई खूब ध्यान से किया

नाम- अधीश दुबे

अंक- 676

ऑल इंडिया रैैंक- 1944वीं रैैंक

अधीश दुबे ने 676 अंक हासिल कर नीट में ऑल इंडिया 1944वीं रैैंक प्राप्त की है। अधीश बताते हैैं कि 11वीं तक नीट के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था। क्योंकि सोशल मीडिया से जुड़े रहना और हमेशा सिर्फ सोचते रहने से काम नहीं होता है और 11वीं का पूरा साल मैैंने सिर्फ यही किया था। जानता था कि यही वो साल है जिसमें खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखना है और अच्छे से पढ़ाई करनी है। पूरे साल एक अलग स्ट्रेटेजी के साथ चलता था। स्कूल में 12वीं की पढ़ाई पूरा ध्यान लगाकर करता था और चूंकि 11वीं ठीक से नहीं पढ़ी थी तो घर में 11वीं का सिलेबस पढ़ता था ताकि नीट की तैयारी में कुछ भी छूट ना जाए।

Tags

Next Story