9वां अतंरराष्ट्रीय हर्बल मेला 20 दिसंबर से होगा शुरू

मप्र में 9 वां अतंरराष्ट्रीय हर्बल मेला 20 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। यह 26 दिसंबर तक चलेगा। वर्ष 2000 से शुरू हर्बल मेले का स्वरूप वर्ष 2011 में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो गया। कोविड-19 के पीरियड को छोड़कर बाकी प्रत्येक वर्ष मेला लगा है। ताजुब यह भी है कि वन व आयुष विभाग में आपसी सामंजस्य नहीं होने की वजह से इसके ठीक दो दिन पहले इंदौर में दो दिनी आयुर्वेद सम्मेलन 17 व 18 दिसंबर को आयोजित हो रहा है। कायदे से यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय हर्बल मेले के समय ही होना चाहिए था, चूंकि दोनों कार्यक्रमों में आयुर्वेद ही प्रमुख है।
मप्र राज्य लघु वनोपज व्यापार एवं विकास सहकारी संघ मर्यादित के अनुसार मेले में परंपरागत औषधियों और वन उत्पादों का समुचित बाजार उपलब्ध कराने सभी तरह के संसाधन होंगे। इसमें लघु वनोपज के संग्राहक, प्रसंस्करणकर्ता, विनिर्माणकर्ता, अनुसंधानकर्ता, दर्शन वेत्त्ाा, हर्बल निर्माता व उत्पादक, देश एवं प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता आदि से जुड़े लोग मेले में आएंगे। इस मेले की एक खासियत यह भी है कि प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति, योग एवं आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है। जिसे हर्बल उत्पादों की बढ़ती लोकपि्रयता से निरंतर मांग में बढ़ोतरी हुई है। मेले के दौरान कार्यशाला, संगोष्ठी, नि: शुल्क चिकित्सकीय परामर्श एवं विभिन्न्ा प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। मेले के माध्यम से वनवासियों को एक ओर जहां संग्रहित कच्च्ो माल तथा वनौषधियों के लिए बाजार उपलब्ध होगा, वहीं ग्रामीण स्तर पर स्ववलंबी होकर लघु उद्योग भी स्थापित किया जा सकता है।
मेले में होंगे करीब 300 से ज्यादा स्टॉल
मेले में करीब 300 से ज्यादा स्टॉल होंगे। इसमें उप्र, कर्नाटक, छग, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आदि राज्यों के हर्बल उत्पादों के उत्पादक शामिल होंगे। हर्बल उत्पादों के कच्चो माल का प्रदर्शन किया जाएगा। मेले में करीब डेढ़ लाख से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। इसमें प्रतिदिन 20 से 25 हजार लोगों के आने की संभावना है। इसी हिसाब से वन विभाग ने तैयारी भी की है। मेले में क्रेता-विक्रेता संवाद, कार्यशालाएं आदि होंगे। इसे सफल बनाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को लगाया जा रहा है। इसके साथ ही नुक्कड़ नाटक, डांस प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, गायन प्रतियोगिता आिद होंगे। इस मेले को बेतहर ढंग से संपन्न्ा कराने के लिए करीब 4 से 5 करोड़ रुपए का बजट वन विभाग ने रखा है।
इसी तरह के आयोजन की एक स्थान यह भी देखिए
इंदौर में आयुर्वेद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 17 एवं 18 दिसम्बर को होने जा रहा है। सम्मेलन में 10 देश, जिनमें प्रमुख रूप से न्यूजीलैण्ड, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, जापान और यूनाइटेड अरब अमीरात के प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। साथ ही देश के आयुर्वेद विशेषज्ञ अपने शोध और विचार व्यक्त करेंगे। सम्मेलन का आयोजन इंदौर के अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय की ओर से किया जा रहा है। सेमिनार का विषय सिद्धांतकॉन रखा गया है। सम्मेलन में मुख्य रूप से भारत की प्राचीन आयुर्वेद विधा एवं सिद्धांतों के बारे में चर्चा की जाएगी। साथ ही आधुनिक परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार मरीजों को इलाज की सुविधा एवं शिक्षण परम्परा को बेहतर बनाया जा सकता है, इस पर विचार किया जाएगा। सम्मेलन में आयुर्वेद औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण, आहार चिकित्सा से रोगों का बचाव, पंचकर्म चिकित्सा, कल्प चिकित्सा और शल्य कर्म में उपयोग आने वाले यंत्र के प्रयोग पर विचार किया जाएगा।
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