MP Election2023: हरिभूमि स्पेशल! MP की इस विधानसभा सीट दोबारा नहीं जीता किसी भी पार्टी का प्रत्याशी, क्या सच में है किसी का साया

MP Election2023: हरिभूमि स्पेशल! MP की इस विधानसभा सीट दोबारा नहीं जीता किसी भी पार्टी का प्रत्याशी, क्या सच में है किसी का साया
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सिलसिला शुरू होता है 1967 से जब पहली बार विधायक भाव सिंह ने इस सीट पर कांग्रेस का झंडा लहराया था, मगर फिर 1972 के बाद से अब तक बदला-बदली का खेल जारी है।

MP Election 2023: भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी तापमान अपने उच्तम स्तर पर है। चुनावी मैंदान में उतरी पार्टियां और उनके प्रत्याशी ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा रहें है। हालांकि चुनावों में तो यह तय होता है कि कोई जीत का स्वाद चखेगा तो वहीं हारने वाला प्रत्याशी हार को अपनी किस्मत मान कर अगले साल की तैयारियों में जुट जाएगा। मगर मध्य प्रदेश में एक विधान सभा सीट भी है जहां एक बार कोई प्रत्याशी जीत गया है तो दूसरी बार वो प्रत्याशी जीत का तमगा अपने सर नहीं सजा पाया है। आखिर में ऐसा क्या है इस सीट पर, क्या कोई साया है जो ऐसा करने से रोकता है। पढ़िए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट

इस बार 17 प्रत्याशी मैदान में

दमोह जिले की पथरिया विधानसभा का एक अलग ही मिथक है, यहां दूसरी बार किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिलती, अगर बीते पिछले 50 साल का इतिहास देखा जाए तो वो यही कहता है। बता दें कि पथरिया सीट से इस बार 17 प्रत्याशी मैदान में हैं। जबकि पिछले चुनाव में 21 प्रत्याशी मैदान में थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा में बागी प्रत्याशी उम्मीदवार के चलते बीएसपी से रामबाई सिंह परिहार चुनाव जीती थीं।

दोबारा कोई नहीं बना विधायक

वहीं भाजपा के बागी उम्मीदवार रामकृष्ण कुसुमरिया दमोह एवं पथरिया से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। जिससे दमोह एवं पथरिया दोनों जगह से भाजपा प्रत्याशी हार गया था, लेकिन इस बार पथरिया विधानसभा से 17 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें त्रिकोणीय मुकाबला होगा। कांग्रेस से राव बृजेंद्र सिंह भाजपा से लखन पटेल एवं बीएसपी से रामबाई सिंह परिहार के मध्य त्रिकोणीय संघर्ष होगा। इस सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी जातिगत समीकरण के आधार पर ही चुनाव जीते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की 50 साल के इतिहास में इस सीट से दोबारा कोई प्रत्याशी विधायक नहीं बन सका।

क्या है इस विधान सभा का इतिहास

कहानी कुछ इस प्रकार है कि वो साल 1967 का था जब पहली बार कांग्रेस के भाव सिंह विधायक बने थे। मगर फिर 1972 में 1972 में गोपाल दास कांग्रेस पार्टी से विधायक बने। 1977 में जीवनलाल जनता पार्टी से, 1980 में गोपाल दास, 1985 में श्यामलाल कांग्रेस से, 1990 में मणि शंकर सुमन भाजपा से, 1993 में कालूराम कांग्रेस से, 1998 गणेश खटीक भाजपा से, 2003 में सोना बाई भाजपा से इसके बाद यह सीट सामान्य होने से 2008 में रामकृष्ण कुसमरिया विधायक एवं मंत्री बने। इसके पूर्व सीट आरक्षित थी। 2013 में लखन पटेल विधायक बने। 2018 में बीएसपी की रामबाई सिंह परिहार विधायक बनीं। अगर पिछले 50 सालों पर नजर डाली जाए तो यहां से दोबारा कोई भी विधायक नहीं बन सका। पहले यह सीट आरक्षित रही। 2008 में सामान्य हो गई। जिससे यहां जातिगत समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी चुनाव जीतने लगे। पथरिया विधानसभा में कुल 2 लाख 37 हजार हजार 275 मतदाता हैं। जिसमें सबसे ज्यादा दलित, कुर्मी पटेल एवं लोधी वर्ग की मुख्य भूमिका होती है।

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