अब दवा के रूप में नहीं बिकेगा आयुर्वेदिक आहार उत्पाद, आया फूड सेफ्टी के दायरे में, इस विभाग से लेना होगा लाइसेंस

भोपाल। आयुर्वेदिक आहार को अब निर्माता और विक्रेता आयुर्वेदिक दवा के रूप में नहीं बेच सकेंगे। आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माताओं और विके्रेताओ को खाद्य सुरक्षा विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। ऐसे नहीं करने पर विभाग का अमला इनके विरूद्ध कार्रवाई कर सकेगा। इसके संदर्भ में भारत सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण द्वारा गत दिवस अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
कई उत्पादों में सुरक्षा मानकाें का पालन नहीं
गौरतलब है कि कोरोनाकाल के बाद भोपाल, मध्यप्रदेश सहित देशभर के बाजारों में आयुर्वेदिक दवा के नाम से आयुर्वेदिक फू ड उत्पादों की भरमार हुई है। जिसमें देशी और विदेशी हजारों कंपनियों ने आयुर्वेद उत्पाद (आहार) उपलब्ध कराए है और स्वास्थ्य के प्रति सचते लोगों को रूझान भी आयुर्वेदिक आहार बढ़ा हैं ,लेकिन बाजार में बिक रहे कई कंपनियों के उत्पादों पर एफएसएसएआई के सुरक्षा मानक का पालन नहीं हो रहा है। फलस्वरूप भारतीय खाद्य सुरक्ष मानक प्राधिकरण ने यह नया बीड़ा उठाने जा रहा हैै।
यह प्रावधान हैं जारी अधिसूचना में
वरिष्ठ मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डी.के.वर्मा के अनुसार प्राधिकरण द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अब आयुर्वेदिक आहार निर्माता और विके्रताओं को खाद्य सुरक्षा विभाग से लाइसेंस लेना होगा। आयुर्वेदिक औषधियों से भिन्न खाद्य पदार्थ के पैकेजिंग पर एफएसएसआई लोगों और सुनिश्चित किए गए चिन्ह को प्रदर्शित करना होगा। वर्मा के अनुसार प्राधिकरण द्वारा जारी अधिसूचना के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग का अमला अब आयुर्वेदिक उत्पादों की जांच और सेम्पल भी और एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मापदंड पर खरा नहीं उतरने पर निर्माता और विक्रेताओं के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखीय है कि भारत सरकार के दिशा-निर्देश पर एफएसएसएआई ने मध्यप्रदेश सहित देशभर खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को आयुर्वेदिक फूड उत्पादों की जांच करने के निर्देश मिले हैं।
इन दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य
- खाद्य कारोबारी आयुर्वेद आहार का उत्पादन इन विनियमों की अनुसूची (ख) में विहित प्रवर्गों और अपेक्षाओं के अनुसार करना है।
-कोई व्यक्ति 24 माह तक के शिशुओं को खिलाने के लिए आयुर्वेद आहार का उत्पादन अथवा उसकी बिक्री नहीं करेगा।
- खाद्य कारोबारियों द्वारा आयुर्वेद आहार का उत्पादन खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम 2011 की अनुसूची 4 के अनुसार किया जाएगा।
- आयुर्वेद आहार में विटामिनों, खनिजों और एमिनो एसिडों का योजन अनुमत नहीं है। तथापि आयुर्वेद आहार में प्राकृतिक खनिज मौजूद होने पर उन्हें लेबल पर घोषित किया जा सकता है।
-खाद्य कारोबारी घटकों की शुद्धता संबंधी मानदंड बाद सुरक्षा और मानक विनियमों अथवा सामान्यत: मान्य भेषजकोश अथवा संबंधित बीआईएस विशिष्टियों अथवा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा प्रकाशित भारतीय चिकित्सय पौधों का गुणवत्ता मानक के अनुसार अंगीकृत कर सकते हैं।
- आयुर्वेद आहार खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) विनियमए 2018 के अनुरूप होना अनिवार्य हैं।
- कोई व्यक्ति इन विनियमों में के अनुरूप सुनिश्चित कराए बिना आयुर्वेद आहार का उत्पादन, उसकी पैकिंग, बिक्री नहीं करेगा। उसे विक्रय के लिए पेश नहीं करेगा, उसका विपणन नहीं करेगा।
- लेबलिंग, प्रस्तुतीकरण और विज्ञापन में यह दावा न किया जाए कि आयुर्वेद आहार में रोग से मुक्त मिलेगी।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS