अब राजधानी के इन क्षेत्रों में नहीं होंगी ‘व्यावसायिक गतिविधियां’

भोपाल। शहर के सबसे पॉश इलाके अरेरा कॉलोनी (ई-1 से ई-5), चूनाभट़्टी और विजय नगर में अब व्यावसायिक गतिविधियां नहीं होंगी। नए मास्टर प्लान के मसौदे में इस क्षेत्र को रेसीडेंशियल घोषित कर दिया गया है। इन क्षेत्रों में पहले बने मास्टर प्लान के मसौदे मिश्रित उपयोग व एफएआर में संशोधन किया गया है। मेट्रो रेल के दोनों ओर टीओडी कॉरिडोर (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) को 100 मीटर चौड़ा प्रस्तावित किया गया है।
अंतिम मसौदा जारी किया जाएगा
इसी दायरे में व्यावसायिक गतिविधियां हो पाएंगी। अब इसके लिए 514.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल निर्धारित किया गया है। पहले इसे 500 मीटर रखा गया था। नए मास्टर प्लान के मसौदे में और भी कई तरह के संशोधन किए गए हैं। भोपाल का मास्टर प्लान का मसौदा लगभग तीन साल की देरी से शुक्रवार को जारी हो गया। पिछली बार जुलाई 2020 में जारी हुआ था। इस पर 1732 सुझाव व आपत्तियां आई थी। किंतु कोविड-19 की वजह से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। इससे मास्टर प्लान के लिए अपनाई जा रही विधिक प्रक्रिया दूषित हो गई। अब जाकर कई तरह के प्रस्तावित संशोधनों के साथ भोपाल विकास योजना (प्रारूप)-2031 (मास्टर प्लान) जारी कर दिया गया। दावें-आपत्तियों के लिए 30 दिन का समय तय किया गया है। इस पर सुनवाई के बाद अंतिम मसौदा जारी किया जाएगा।
इंदौर के विकास में मास्टर प्लान का रोल प्रमुख रहा
मास्टर प्लान के मसौदे में प्रमुख रूप से कुल 12 तरह के संशोधनों को शामिल किया गया है। इसमें रामसर साइट के रूप में प्रसिद्ध बड़ी झील (भोजताल), राष्ट्रीय उद्यान के साथ बाघ भ्रमण क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। सरकार का मानना है कि मास्टर प्लान जारी होने से भोपाल शहर का विकास तेजी से हो सकेगा। इंदौर जैसे शहर के तेज गति से हुए विकास में मास्टर प्लान का प्रमुख रोल रहा है। भोपाल में किन्हीं कारणों से मास्टर प्लान लगातार टलता आ रहा था। वर्ष 2020 में जारी भी किया गया तो इसमें कई तरह की विसंगतियां थी। अब इन विसंगतियों को दूर कर दिया गया है। वर्ष 2005 के बाद अब जाकर मास्टर प्लान बनकर तैयार हुआ है।
भोपाल झील को बचाने कई तरह की बंदिशें होंगी
नए मास्टर प्लान मसौदे में बड़ी झील को बचाने की रूपरेखा बनाई गई है। भोज वेटलैंड के नियम जारी हुए हैं। मास्टर प्लान में इन नियमों को शामिल किया गया है। वेटलैंड रूल्स के तहत बड़ा तालाब एवं उसके आसपास केक्षेत्र में ऐसी गतिविधि संचालित नहीं की जा सकेगी, जिससे तालाब पर विपरित असर पड़े। बड़ी झील दक्षिणी ओर एफटीएल से लगकर 45 मीटर का 15.7 किमी लंबे मार्ग के प्रावधान को हटा दिया गया है। ग्रामीण आबादी के लिए बड़ी झील से 100 मीटर तक ग्राम विस्तार का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही आवासीय व अन्य उपयोग के प्रावधान को भी हटा दिया गया। यानी, अब कृषि उपयोग ही हो सकेगा।
केरवा बांध के लगे क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट घोषित किया
नए मास्टर प्लान के मसौदे में एक बड़ा परिवर्तन यह भी किया गया है कि केरवा बांध के सटे क्षेत्र को लो डेंसिटी प्रस्तावित किया गया था। इससे वन क्षेत्र की इकोलॉजी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। इसमें संशोधन करके आवासीय उपयोग को हटा दिया गया। यह अब फिर से ग्रीन बेल्ट ही रहेगा। ताकि, बाघों का भ्रमण निर्बाध होता रहे। इसी तरह चंदनपुरा, मेंडोरा, मेंडोरी स्थिति सरकारी जमीन को जो पीएसयू के लिए प्रस्तावित किया गया था, अब इसे वन भूमि के रूप में दिखाया गया है। यह एक बड़ा निर्णय सरकार ने लिया है। कलियासोत बांध से लगकर केरवा मार्ग के पूर्वी ओर को 2005 के मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट घोषित किया गया था। किंतु बाद में उक्त क्षेत्र को पीएसयू के लिए प्रस्तावित किया गया। पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण इसे फिर से ग्रीन बेल्ट घोषित कर दिया गया।
लालघाटी व हलालपुर क्षेत्र मंे 30 हेक्टेयर क्षेत्र अब लेकफ्रंट होगा
मास्टर प्लान के मसौदे में आम लोगों की जरूरतों व उनकी दिक्कतों पर भी ध्यान दिया गया है। बैरागढ़ से इंदौर मार्ग उत्त्ार की तरफ बड़ी झील के जलग्रहण क्षेत्र को प्रस्तावित आवासीय व अन्य उपयोग किया गया था, अब उसे हटा दिया गया। यह अब कृषि उपयोग के लिए ही होगा। बड़ी झील व इसके जलग्रहण (कैचमेंट एरिया) को सुरक्षित किया गया है। इसी तरह लालघाटी के समीप बड़ी झील से लगकर हलालपुर क्षेत्र में पहले लेकफ्रंट उपयोग को आवासीय किया गया था। इसे हटाकर अब फिर से लेकफ्रंट के तहत ही किया गया है।
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