MP NURSING SCAM: नर्सिंग छात्रों के समर्थन में आई एनएसयूआई, पीएम मोदी को पत्र लिखकर कही ये बात

भोपाल : मप्र में नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले का खुलासा होने के बाद प्रदेश के कई कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है। तो वही दूसरी तरफ इस मामले की लगातार हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है। बता दें कि लंबे वक़्त से चल रहे इस केस की वजह से 1 लाख से ज्यादा छात्रों का भविष्य अंधेरे में है। जिसको लेकर एनएसयूआई के छात्र नेता रवि परमार छात्रों के समर्थन में सामने आये है। इतना ही नहीं उन्होंने छात्रों की मदद के लिए पीएम मोदी से गुहार लगाई है।
लाखों छात्र छात्राओं के भविष्य खतरे में
बता दें कि छात्र नेता रवि परमार ने छात्रों की परेशानी को देखते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा है। जिसमे रवि ने लिखा हाल ही में मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग मोटाले की वजह से मध्य प्रदेश के लाखों छात्र छात्राओं का भविष्य अधर में अटक चुका हैं साथ ही मध्यप्रदेश सरकार नर्सिंग के सत्र 2023-24 को जीरो ईयर करने की तैयारी में है। ऐसे में मध्यप्रदेश के नर्सिंग करने वाले छात्र छात्राओं को अन्य राज्यों की ओर पलायन करना होगा।
नर्सिंग परिक्षाएं शुरू करने की मांग
इसके साथ ही रवि ने आगे लिखा कि में पीएम से अनुरोध करते हुए कहा कि नर्सिंग के 2023-24 सत्र को जीरो ईयर मोषित ना किया जाए और मध्यप्रदेश के लाखों छात्र छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नर्सिंग घोटाले पर संज्ञान लेते हुए दोषियों पर कार्यवाही के लिए प्रदेश सरकार को निर्देशित करें। साथ ही नर्सिंग परिक्षाएं शुरू करने की दिशा में पहल करने की मांग भी की है।
इन 14 कॉलेजों की संबद्धता स्थगित
मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जिन 14 कॉलेजों की संबद्धता स्थगित की है, उनमें ग्वालियर के 9, भिंड के 4 और श्योपुर का 1 कॉलेज शामिल है. इनके खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है. यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद की बैठक में इन कालेजों में एडमिशन लेने वाले बीएससी नर्सिंग के 508, पोस्ट बेसिक नर्सिंग के 60 और एमएससी नर्सिंग के 34 के छात्रों का इनरोलमेंट (Enrollment) भी स्थगित कर दिया है।
CBI ने जांच रिपोर्ट कोर्ट में की पेश
इस मामले में जांच कर रही CBI ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है। जिसमे 22 गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेजों में से 50 प्रतिशत कॉलेजों में कमियां पाई गईं, 10 साल और उससे ज्यादा पुराने नर्सिंग कॉलेज में 33 प्रतिशत ही उपयुक्त पाए गए, 5 साल और उस से ज्यादा पुराने नर्सिंग कॉलेज 67 प्रतिशत ही उपयुक्त मिले और पिछले 5 साल और उससे कम वाले कॉलेजों में 44 प्रतिशत ही जांच में सही उपयुक्त पाए गए।
अगली सुनवाई 27 जुलाई को
रिपोर्ट सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इन नर्सिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग पर भी सवाल खड़े किये, कोर्ट ने कहा कि नर्सिंग स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग वाले हॉस्पिटल से नोटराइज्ड एफिडेविट मांगा जाए, ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट जानकारी की मांगी जाए, मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी, गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने मप्र में नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगा रही है, सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरक़रार रखा है।
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