MP PROTEST; नर्सिंग स्टॉफ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, प्रदेशभर में तीनों दिनों से चिकित्सा सेवा ठप, मरीजों की बढ़ी फजीहत

भोपाल : मध्यप्रदेश में पिछले तीन दिनों से नर्सिंग असोसिएशन का काम बंद हड़ताल जारी है। जिसकी वजह से न सिर्फ भोपाल बल्कि प्रदेशभर में चिकित्सा सेवा ठप पड़ी है। इलाज नहीं मिलने की वजह में मरीजों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है।लंबे वक़्त से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे नर्सो ने सरकार और प्रशासन की तरफ से कई भी जवाब नहीं मिलने की वजह से 10 जुलाई से प्रदेशभर में काम बंद हड़ताल पर चाले गए हैं । जिसकी वजह से प्रदेशभर के 60 हजार से ज्यादा नर्सिंग कर्मचारी अपनी 8 सूत्री मांगों को पूरा करने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है।
मरीजों की नहीं मिल रही जांच सुविधा
बता दें कि हड़ताल की वजह से भोपाल के अस्पतालों का आलम यह रहा कि प्रसुताओं को विभिन्न जांचों के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है, उनकी बीपी शुगर समेत अन्य जांच नहीं हो सकी। हांलाकि अस्पताल प्रबंधन ने वैकल्पिक रूप से व्यवस्था की हैं, लेकिन उससे भी मरीजों को राहत नहीं मिली। गंभीर मरीजों को ऑपरेशन टाले गए हैं। इधर काटजू में हालत ओर ज्यादा खराब मिले, यहां अधिकांश मरीजों के इलाज में नसों की भूमिक अहम हैं। पांच से छह डिलेवरी को टाल दिया गया है।
जिला अस्पताल के नर्सो ने निकाला पैदल मार्च
तो वही दूसरी तरफ शहडोल में नर्सो ने सरकार की मानमानी को देखते हुए पैदल मार्च निकाला। जिसकी वजह से शहडोल में भी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं।हड़ताल पर बैठे स्टॉफ नर्सों ने बताया कि एसोसिएशन वर्षों से ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगें रख रहा है, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई। इसी वजह से प्रदेश के नर्सिंग संवर्ग में असंतोष है। जिला अस्पताल में करीब 110 नर्सिंग स्टॉफ हड़ताल पर है। हालत यह है कि प्रसव कराने जो महिलाएं जिला अस्पताल आ रही हैं उनको मेडिकल कालेज रिफर किया जा रहा है और मेडिकल कालेज में भी हड़ताल के कारण समस्या आने के कारण महिलाओं को या तो प्राइवेट अस्पतालाें की ओर रूख करना पड़ रहा है।
ये है प्रमुख मांगे-
-नर्सिंग संवर्ग के वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
-रात्रिकालीन आकस्मिक चिकित्सा भत्ता डॉक्टरों को 500 दिया जा रहा। नर्सों को भी 300 रूपए दिया जाए।
-भर्ती नियमों में संशोधन हो, संसोधन करते समय एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का सुझाव लिया जाए।
-ग्वालियर व रीवा मेडिकल कॉलेज की भांति नर्सिंग ऑफिसर को तीन व चार पेंशन वृद्धि दी जाए।
-नर्सिंग स्टूडेन्ट स्टायपेंड 8000 किया जाए। नर्सिग ट्यूटर के पद सृजित किए जाए।
-स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अन्तर्गत संचालनालय स्तर पर सहायक संचालक का पद सृजित है जो नर्सिंग संवर्ग का है।
-वर्तमान में अन्य कैडर से कार्य कराया जा रहा है जो अनुचित है। सहायक संचालक के पद पर नर्सिंग से ही कार्य कराया जाए।
-प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 से दिया जाए।
-मानदेय नियम को निरस्त कर पूर्व की भांति यथावत रखा जाए और पुरानी पेंशन (ओपीएस) पूर्व की भांति लागू की जाए।
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