Omkareshwar News : भारत की सनातनी परंपरा, अद्वैत व एकता के विचार को सामने लाएगा एकात्म धाम

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वैश्िवक समस्याओं का हल आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन में उल्लेखित एकात्मवाद में है। ओंकारेश्वर में एकात्म धाम भारत की सनातनी परम्परा और एकता के विचार को अभिव्यक्त करने का कार्य करेगा। चौहान ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ भारत का आदर्श विचार है। एक ही चेतना सभी मनुष्यों-प्राणियों में व्याप्त है। तेरा-मेरा की बात करने वाले व्यक्ति छोटे हृदय के होते हैं। मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों के कल्याण का दर्शन सिर्फ भारत में मिलेगा। तुलसी, कबीर और अन्य संतों एवं विचारकों ने मानव कल्याण को सर्वोपरि माना है। मुख्यमंत्री चौहान खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में सिद्धवरकूट क्षेत्र में ब्रम्होत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में देश से हजारों संत, आध्यात्मिक विचारक और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में परिव्रजन योजना पर कार्य किया जाएगा। इसके तहत सेवा कार्य के पवित्र उद्देश्य से प्रवास और अन्य स्थान पर समाज के उपयोगी प्रकल्प अपनाने के लिए नागरिकों व संत समाज को भी जोड़ा जाएगा।
शंकराचार्यजी थे, तभी आज भारत है
सीएम ने कहा कि विकासखंड का चयन कर युवाओं के माध्यम से अद्वैत के सिद्धान्त का प्रचार किया जाएगा। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने शिविरों के माध्यम से युवाओं को एकात्मता और मानव कल्याण के विचार से जोड़ा है। इस कार्य में संतों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर में आज ऐसे अद्भूत अद्वैत लोक के लिए भूमिपूजन हुआ है, जो आने वाली पीढ़ी को इस दर्शन की जानकारी देकर भविष्य संवारेगा। अद्वैत लोक से एकात्मता और शांति का संदेश दुनिया भर में जाएगा। यह दर्शन नई पीढ़ी के मन-मस्तिष्क तक पहुंचेगा। आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय वेदांत संस्थान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इस विचार को स्थानांतरित भी करेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जगतगुरू शंकराचार्य 8 वर्ष की आयु में करीब 1675 किलोमीटर की यात्रा कर ओंकारेश्वर पहुंचे थे। यहां उन्होंने दीक्षा प्राप्त की। भगवान राम ने भारत को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ा था। भगवान कृष्ण ने पूरब से पश्चिम को जोड़ा, लेकिन शंकराचार्यजी ने सम्पूर्ण भारत को चारों दिशाओं में बांधने का कार्य किया। शंकराचार्यजी थे, तभी आज भारत है।
प्रतिमा स्थापना का विचार नर्मदा यात्रा में आया: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर का अद्वैत संस्थान देश और दुनिया के विद्यार्थियों के माध्यम से विश्व शांति का केन्द्र बनेगा। वर्ष 2016 में सिंहस्थ के दौरान महाकुम्भ से नर्मदा सेवा यात्रा की प्रेरणा मिली। इसके पश्चात नर्मदा सेवा यात्रा के माध्यम से ओंकारेश्वर में शंकराचार्यजी की प्रतिमा स्थापना का विचार मन में आया। इसे साकार करने के लिये एकात्म यात्रा निकाली गई और घर-घर से मिट्टी के कलश लाए गए थे। इससे यह विचार प्रसारित हुआ।
साधु-संतों और अखाड़ों के प्रमुखों ने की एकात्म धाम प्रकल्प की प्रशंसा
जूना पीठाधीश्वर के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में नर्मदा के तीरे इस धाम में भगवान ओंकारेश्वर पर्वत पर भागवतपाद जगतगुरु की भव्य और दिव्य प्रतिमा स्थापित करने का प्रकल्प अद्भुत है। आज यहां दक्षिण भारत से भी अनेक संत पधारे हैं। स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि आदि शंकराचार्यजी आज भारत के सांस्कृतिक स्वरूप का मेरुदंड बने हैं। हमारी संस्कृति इस तरह विकसित नहीं होती यदि शंकराचार्य जी नहीं आते।
गुरु देने वाली धरा है मध्यप्रदेश: स्वामी अवधेशानंद
स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि देश का हृदय प्रदेश गुरू देने वाली धरा भी है। शंकराचार्य जी को मध्यप्रदेश में आगमन पर गुरू गोविंद पाद मिले और मध्यप्रदेश की धरती से जगतगुरू भी मिले। मुख्यमंत्री चौहान को जगतगुरू ने ही इस कार्य के लिए चयनित किया। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना और अद्वैत धाम की पहल मानवीय नहीं, बल्कि ईश्वरीय या दैवीय संकल्प है। मुख्यमंत्री चौहान अच्छे शासक, प्रशासक होने के साथ ही उच्च कोटि के उपासक भी है। मुख्यमंत्री चौहान की धर्मपत्नी जीवन साथी के सद्कार्यों में सहायक बनती हैं। मध्यप्रदेश में शंकरदूत भी बनाये जा रहे हैं। अद्धैत दर्शन के संदेश को समाज तक पहुंचाने वाले युवा-उत्प्रेरक और प्रचारक शिविरों के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं। आशा है कि मध्यप्रदेश सेवा कार्यो में अग्रसर बना रहेगा।
‘शिवोहम की प्रभावी प्रस्तुति से हुई ब्रम्होत्सव की शुरुआत’
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित देश भर से पधारे संतों, आध्यात्मिक गुरुओं, प्रबुद्ध जन और नागरिकों के समक्ष शिवोहम नृत्य नाटिका का मंचन हुआ। ओंकारेश्वर में नर्मदा तट के पास सिद्धवरकूट में निर्मित विशाल मंच पर संतों के पहुंचने पर उनका पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. पद्मा के नृत्य से हुई। सबसे पहले उपस्थितों ने वेदोच्चार का श्रवण किया और पद्मभूषण डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम की भरत नाट्यम शैली में दी गई प्रस्तुति देखी। इस प्रस्तुति में गायन डॉ. गायत्री टंडन का था। शिवोहम की प्रभावशाली प्रस्तुति में आचार्य शंकर के स्रोतों पर केंद्रित समवेत नृत्य की प्रस्तुति हुई।
प्रदर्शनी का अवलोकन
मुख्यमंत्री चौहान सहित विभिन्न राज्यों से पधारे संत गण ने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा सिद्धवरकूट में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान और संतों ने तीन प्रकाशन का विमोचन किया। न्यास द्वारा युवाओं को एकात्म और अद्वैत के विचार से जोड़ने के लिए कई गतिविधियां की गईं। इनमे शिविर भी हुए, जिस पर केंद्रित पुस्तक अद्वैत युवा जागरण शिविर और विजय मनोहर तिवारी की लिखी पुस्तक एकात्म धाम और स्वप्न से शिल्प तक पुस्तकों का विमोचन हुआ। न्यास के सौजन्य से निर्मित एकात्मधाम फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।ब्रम्होत्सव में फिल्म शंकर के निर्माण की घोषणा भी न्यास द्वारा की गई। इसका निर्देशन विख्यात फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारीकर करेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान इसके लिए साधुवाद के पात्र: सोनी
वरिष्ठ विचारक सुरेश सोनी ने कहा कि झंझावातों के बाद भी भारत आगे बढ़ रहा है। दीर्घ काल के बाद भारत ‘स्व’ को अभिव्यक्त कर रहा है। भारत की सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक परम्परा के प्रति स्थानों का विकास हो रहा है। नागरिकों की आशा और आंकाक्षा है कि देश एक हो, अद्वैत का सिद्धान्त प्रचारित करने के प्रयास सराहनीय हैं। मुख्यमंत्री चौहान इसके लिए साधुवाद के पात्र हैं। ओंकारेश्वर की भौतिक प्रतिमा लोगों के आध्यात्मिक मानस तक पहुंचेगी। संतों की तपस्या और सिद्धान्त हमारे व्यवहार में व्यक्त होंगे, इसके चिन्ह दिखाई दे रहे हैं। आज अद्वैत के विचार को जीवन में उतारने की आवश्यकता है। ओंकारेश्वर का प्रकल्प एक गंगोत्री के समान है जो जल की धारा को बढ़ाते हुए महासागर के रूप में सामने आएगा।
ब्रम्होत्सव में पहुंचे विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधि
ब्रम्होत्सव में 13 प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधि और देश के विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। गुरू मां आनंदमूर्ति जी के साथ ही पद्मश्री वीआर गौरीशंकर भी पधारे। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर परिचय तक अनेक प्रान्तों के प्रतिनिधि आए।
आज का दिन प्रसन्नता का
हरिद्वार के परमानंद गिरी जी ने कहा कि आज का दिन प्रसन्नता का दिन है। यह दिन सम्पूर्ण विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।
ब्रम्होत्सव में वर्चुअली भी जुड़े संत
सिद्धवरकूट में हुए ब्रम्होत्सव में विभिन्न पीठों के जगद्गुरू शंकराचार्य ने भी लाइव संदेश के माध्यम से एकात्म धाम के लिए शुभकामना संदेश दिए। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदा पीठ, श्रृंगेरी श्री विधुशेखर भारती महास्वामी जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी की भव्य मूर्ति बन जाने से श्रृद्धालुओं को परम सुख की अनुभूति मिलेगी। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदापीठ द्वारिका सदानंद सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि यह अवसर बेहद शुभ है। जगद्गुरू शंकराचार्य, कांची कामकोटि पीठ, कांचीपुरम स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि वेदों का सार है विश्व कल्याण। आज इस विचार को सारा विश्व मान रहा है। अद्वैत के सिद्धान्तों से देश का विकास होगा और भारत जल्द विश्व गुरू बन सकेगा। कार्यक्रम के अंत में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने सभी का आभार माना।
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