ujjain news ;अंधविश्वास की चक्की में पिसा डेढ़ माह का मासूम, गरम सरिए से कई बार बच्चे को दागा, हालत गंभीर

उज्जैन ; आदिवासी क्षेत्रों में मासूमों को आंकने (दागने) की कुप्रथा अभी तक जारी है। ग्रामीण इलाको में आज भी इलाज के नाम मासूमों को गरम सरिए से दागा जाता है। जिसके चलते कई बार बच्चों की मौत हो जाती है। इसी कड़ी में बच्चे को गर्म सलाखों से दागने का ताजा मामला उज्जैन से सामने आया है। जहां एक परिवार वालों ने इलाज के नाम पर डेढ़ माह के बालक को गरम सरिए से दागा। इस दौरान बच्चे की तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां पर उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
गंभीर हालत में बच्चे को अस्पताल में किया भर्ती
बता दें कि डेढ़ माह के बालक को खुद इसके घर वालो ने अंधविश्वास की चक्की में पीस दिया। जिसके बाद इलाज के लिए मासूम को उज्जैन के चरक अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां पर उसका इलाज जारी है। इधर, जब अस्पतल वालों ने बच्चों की गंभीर हालत देखी तो उन्होंने बच्चे के परिजनों से सवाल किया, लेकिन जवाब नहीं होने पर परिजन इधर उधर के बहाने करने लगे। बता दें कि यह पहली बार नहीं जब मासूम के साथ इस तरह की हरकत की गई हो। बीते दिन शहडोल में भी एक बच्चे को गर्म सलाखों से 51 बार दागा गया। इस बात की सूचना जब पुलिस को लगी तो उन्होंने माता पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया।
इसको रोकने में सरकारी अमला नाकाम
बता दें कि आदिवासी क्षेत्रों में दगना कुप्रथा काफी समय से चली आ रही है। इसको रोकने के लिए सरकारी अमला पूरी तरह से सुस्त है। नतीजतन, आदिवासी क्षेत्रों में हर साल इस तरह के मामले सामने आते हैं। जागरूकता के नाम पर एक-दो शिविर लगा दिए जाते हैं या फिर पंफलेट बांट दिए जाते हैं। इस घटना को लेकर प्रशासन द्वारा कोई भी सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिसकी वजह से बच्चे इस कुप्रथा की चक्की में पीस रहे है।
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