pitru paksha 2023 : पितृ पक्ष आज से, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए होंगे श्राद्ध और तर्पण

pitru paksha 2023 : पितृ पक्ष आज से, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए होंगे श्राद्ध और तर्पण
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पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़ा शुक्रवार से शुरू हो रहा है। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे।

भोपाल। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़ा शुक्रवार से शुरू हो रहा है। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सोलह दिनों तक सभी शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। इन दिनों में लोग कपड़ा, सोना, चांदी, भवन, भूमि या वाहन की खरीदी नहीं करेंगे। पंडित रामजीवन दुबे गुरुजी के मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शुक्रवार 29 सितंबर को होगा। जिस तिथि में पितर देव दिवंगत होते है, उसी तिथि श्राद्ध कर्म एवं तर्पण किया जाना चाहिए। संतान की दीघार्यु एवं कुशलता की कामना से किया जाने वाला परम पुनीत जियुतिया (जियुतपुत्रिका) का व्रत पूजन अष्टमी श्राद्ध के दिन किया जाता है।

जलाशयों में स्नान कर पूर्वजों को करेंगे याद

श्राद्ध पक्ष में शीतलदास की बगिया सहित अन्य जलाशयों में लोग स्नान करके अपने पूर्वजों को याद करेंगे। घरों में भी स्नान करके पूजा-अर्चना करेंगे। जरूरमंदों की मदद करेंगे। उनको भोजन कराएंगे। ब्राह्मणों को भोज कराएंगे। इर वर्ष की तरह पितृपक्ष में दान-पुण्य के काम होंगे। इस बार ग्रह-नक्षत्रों के विशेष योग-संयोग विशेष फल देने वाले बताए जा रहे हैं। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रोष्ठपदी महालय श्राद्ध का आरंभ हो जाता है। पितृपक्ष पूरे 16 दिन के रहेंगे। हालांकि कुछ पंचांगों में चतुर्थी तिथि का क्षय बताया है, लेकिन तृतीया और चतुर्थी का अलग-अलग गणित धर्मशास्त्र में बताया गया है। पितृपक्ष उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, मीन राशि के चंद्रमा होंगे। पितृपक्ष की शुरूआत सूर्य मंगल के कन्या राशि पर गोचरस्थ होने की साक्षी में हो रही है। यह एक विशिष्ट स्थिति है क्योंकि कन्या राशि के सूर्य को धर्मशास्त्र व पुराण में विशिष्ट मान्यता दी गई है। यदि इस प्रकार का संयोग बनता है, वह भी बुध की राशि कन्या में तो उसका फल विशेष प्राप्त होता है। 29 तारीख की मध्य रात्रि में अमृत सिद्धि योग का भी संयोग है जो अगले दिन सुबह तक रहेगा। यह भी अपने आप में विशिष्ट मान्य है।

400 वर्ष बाद बना है योग

ग्रहों के वक्री एवं मार्गी होने की गणना के अनुसार लगभग 400 वर्ष बाद इस प्रकार के ग्रह दृष्टि संबंध व गोचर का क्रम बन रहा है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह की गति का नियम अलग प्रकार से अपनी गणना करता है। नक्षत्र राशि एवं उनके अंश कल विकल के साथ केंद्र त्रिकोण के योग तथा परिभ्रमण की स्थिति महत्वपूर्ण है।

गायत्री शक्तिपीठ एमपी नगर, बरखेड़ा एवं सुभाष नगर विश्राम घाट कमेटी में पिंड दान एवं तर्पण आज से

भोपाल। गायत्री शक्ति पीठ एमपी नगर, गायत्री शक्तिपीठ बरखेड़ा (भेल) एवं श्री विश्राम घाट कमेटी ट्रस्ट सुभाष नगर में शुक्रवार से पिंड दान व तर्पण का कार्यक्रम किया जाएगा। तीनों जगह ये कार्यक्रम निशुल्क होंगे व पूजा सामग्री भी नि:शुल्क उपल्ब्ध कराई जाएगी। गायत्री शक्तिपीठ एमपी नगर के रमेश नागर, बरखेड़ा शक्तिपीठ के शिवनारायण सिंह राजपूत एवं सुभाष नगर विश्राम घाट कमेटी के शोभराज सुखवानी ने बताया कि यह आयोजन 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक प्रतिदिन किए जाएंगे। गायत्री शक्तिपीठ एमपी नगर एवं बरखेड़ा में यह सुबह 7:30 से तो सुभाष नगर विश्राम घाट कमेटी में यह प्रति दिन प्रात: 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक किया जाएगा। सुखवानी ने बताया कि संरक्षित संस्कार सेवा समिति द्वारा यह आयोजन सुभाष नगर विश्राम घाट के गेट क्रमांक 4 यज्ञशाला में होगा। उन्होंने बताया कि यह आयोजन 2016 से स्व. आरए गुप्ता के मार्गदर्शन में प्रारम्भ किया गया था, जो लगातार हर साल किया जा रहा है।

समिति के सदस्य प्रस्थान करेंगे

इसके साथ ही सुखवानी ने यह भी बताया कि कोविड-19 के समय से हर वर्ष विश्राम घाट पर किन्हीं कारणवश छूट गई अस्थियों का भी विसर्जित करने का कार्यक्रम भी प्रति वर्ष किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार भी 5 अक्टूबर तक संग्रहित अस्थियों को सुबह 9 बजे सुभाष नगर से नर्मदापुरम में मां नर्मदा में विसर्जित करने के लिए समिति के सदस्य प्रस्थान करेंगे।

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