प्रदेश में लागू हुई शाला पूर्व शिक्षा नीति-2022, हर गली-कूचे में नहीं खुल सकेंगे नर्सरी स्कूल, अनुमति लेना अनिवार्य

भोपाल । मध्य प्रदेश में अब शाला पूर्व शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। अब छाेटी कक्षाओं के लिए भी शिक्षा विभाग से परमिशन लेना होागी। प्री-नर्सरी, नर्सरी, केजी कक्षाएं संचालित करने के लिए मान्यता लेनी जरूरी कर दिया गया है। किसी भी स्कूल में पहली कक्षा में बच्चे को छह साल की उम्र में प्रवेश दिया जाता है।
निजी स्कूल में प्रवेश लेने वाले बच्चों को प्री-नर्सरी, नर्सरी, केजी पढ़ाकर पहली कक्षा के लिए तैयार किया जाता है। जबकि, सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले पहले से तैयार नहीं होते, जिससे इनकी बुनियाद कमजोर रह जाती है। शाला पूर्व शिक्षा नीति इसी खाली स्थान को भरेगी। बगैर मान्यता य़ह केंद्र चलते पाए गए तो संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में नजदीक के तीन से छह साल के बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा दी जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों को पहली कक्षा के लिए बुनियादी तौर पर तैयार करना है।
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