सत्रह सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो आएंगे प्रधानमंत्री, अफ्रीकी चीतों का कराएंगे प्रवेश, मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा- इस कार्यक्रम में भी लेंगे हिस्सा

हरि अग्रहरि
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक से पहले जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को कूनाे अभ्यारण आएंगे। इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी का जन्म दिन है और इसी दिन अफ्रीकी चीते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी इनका प्रवेश कराएंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री ने हमारे आग्रह काे स्वीकार कर कलाहल श्योपुर में आयोजित महिला स्व सहायता समूह के सम्मेलन मेें शामिल होने की स्वीकृति भी दी है।
कूनो पहुंच रहा दो सदस्यीय दल
दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 12 चीतों के रखरखाव से लेकर कूनों अभ्यारण के मौसम आदि का अध्ययन करने दो सदस्यीय टीम मंगलवार को कूनों मप्र पहुंच रहा है। यह टीम चीतों के रखे जाने वाले भौगोलिक क्षेत्र, चीतों के खाने-पीने से लेकर अन्य तरह की तैयारियों का अध्ययन करेगा। टीम की रिपोर्ट के आधार पर दक्षिण अफ्रीका से चीतों को भारत भेजा जाएगा। इस वर्ष (दिसंबर) तक में कुल 12 चीतें कूनो अभ्यारण में पहुंचेंगे। इसमें से नामीबिया से आने वाले 8 चीते शामिल हैं। बाकी चीतें दक्षिण अफ्रीका से आएंगे।
चीतों के रखरखाव क तैयारी पूर्ण
इन चीतों के रखरखाव की पूरी तैयारी कूनों अभ्यारण में हो चुकी है। प्रधानमंत्री के आगमन को ध्यान में रखकर बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू हो गई है। दरअसल, नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका को मिलाकर कुल 20 चीते कुनो अभ्यारण में आना है। इसमें से 8 चीते नामीबिया से आएंगे, जबकि 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से कूनो अभ्यारण में आएंगे। इनमें इस वर्ष दिसंबर तक में 12 चीतें पहुंच जाएंगे। नामीबिया के दल से काफी समय पहले ही कूनाें अभ्यारण का दौरा का इन चीतों के रहने के लिए अनुकूल पाया था। इसके बाद ही तय हुआ था कि नामीबिया से चीते आएंगे।
दो से तीन हफ्ते इनक्लोजर में रखेंगे
नामीबिया से आने वाले इन चीतो को दो से तीन सप्ताह तक इनक्लोजर में रखा जाएगा। यानी सीमित क्षेत्र में उन्हें वातावरण से तालमेल बिठाने के लिए रखा जाएगा। इसके बाद 60-70 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खुले में छोड़ा जाएगा। उन सभी चीतों में कॉलर आईडी लगाया जाएगा, ताकि जंगल में कहीं भटके तो इसकी जानकारी तत्काल वन महकमे को मिल जाएगी। इसके लिए ट्रैकिंग सिस्टम को अपडेट किया गया है। यह भी संभावना है कि यह चीते जंगल से बाहर आ जाएं, इसके लिए भ्ाी तैयारी की गई है।
भोजन के लिए खास इंतजाम होगा
चीतों को अभी हिरन फैमिली का ही एक छोटा जानवर इंपाला खासा पसंद है। किंतु यहां भारत में इंपाला नहीं पाए जाते। ऐसे में चीतो को जहां रखा जाएगा, वहां बड़ी संख्या में हिरन छोड़े जाएंगे। यह हिरन भी लगभग उसी प्रजाति के हैं। इससे चीते आसानी से शिकार कर अपना भोजन जुटा सकेंगे। वन विभाग इन चीतो के खानपान पर विशेष सतर्कता बरतने की तैयारी कर रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह चीते विदेशी हैं और भारत में उसे लाया जा रहा है। ऐसे में यहां के मौसम के अनुकूल चीते ढल पाएंगे या नहीं, इसका अध्ययन भी कराया गया है।
चीतों की दो बड़ी खािसयत यह भी है....
नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका से आने वाले चीतों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह इंसानों पर कभी हमला नहीं करता। आज तक के इतिहास में कभी ऐसा नहीं मिला कि किसी भी चीता ने इंसान पर कभी अटैक किया है। दूसरी खासियत यह है कि लायन, टाइगर जैसे जानवर चीतों पर हमला कर मार देते हैं। वह काफी नाजुक प्राणी होता है। अपने शिकार पर हमला कई चीतें मिलकर एक साथ करते हैं। चीता काफी फुर्तिला होता है। इसलिए अपने शिकार को हर हाल में दबोच लेता है। दूसरे जानवर ऐसा नहीं कर पाते। चीते की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा तक
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