वसूली गई फीस का ब्यौरा देने में निजी स्कूलों ने नहीं दिखाई रूचि, अभी भी 18,609 स्कूलों की जानकारी पेंडिग

वसूली गई फीस का ब्यौरा देने में निजी स्कूलों ने नहीं दिखाई रूचि, अभी भी 18,609 स्कूलों की जानकारी पेंडिग
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के निजी स्कूलों से वसूली गई फीस की ब्यौरा मांगा है। यह ब्यौरा स्कूल शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड किया जाना है। लेकिन प्रदेश में अधिकतर स्कूल फीस का ब्यौरा देने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। हालात यह है कि विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर 37,072 स्कूलों का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक मात्र 18,463 स्कूलों ने ही जानकारी पोर्टल पर डाली है। अभी भी 18,609 स्कूलों की ओर जानकारी आना बाकी है। वहीं भोपाल में दर्ज 1785 स्कूलों में अब तक मात्र 1030 स्कूलों ने ही जानकारी भेजी है। जबकि सरकार को 19 अक्टूबर को फीस देने वाले स्कूलों की जानकारी कोर्ट में पेश करनी है। हालांकि विभागीय अधिकारी जल्द ही स्कूलों की ओर से ब्यौरा आने की बात कह रहे हैं।

भोपाल। खास बात यह भी कि पहले स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियमन क्रियान्वयन प्रणाली के सेक्शन में 10 अक्टूबर तक पंजीयन हेतु लक्षित स्कूल 51 हजार 230 दिखाए जा रहे थे। जबकि 16 हजार 166 स्कूलों ने जानकारी दिया जाना दशार्या था। इस तरह केवल 31.5 फीसदी स्कूलों ने जानकारी दी थी। लेकिन अब 11 अक्टूबर से इसी पोर्टल पर स्कूलों का आंकड़ा अचानक घटकर 37 हजार 072 दिखा रहा है। पोर्टल के अनुसार इनमें से 18 हजार 242 स्कूलों ने जानकारी दी थी। इस तरह जानकारी देने वाले स्कूलों का आंकड़ा बढ़कर 49.2 फीसदी हो गया। पोर्टल पर भोपाल में ही 2615 स्कूल दिखाए जा रहे थे, जो अब 1785 हो गए हैं। विभाग के अधिकारी भी इस विषय पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हांलाकि सूत्रों की माने तो पिछले दो सालों से संचालित नहीं हो रहे कुछ स्कूलों के नाम भी पोर्टल पर थे, इससे उन स्कूलों के नाम काटे गए हैं, जहां नामांकन दर्ज नहीं हुए हैं।

14 हजार कहां गए :


प्रदेश की स्कूली शिक्षा को लेकर सरकार हमेशा से ही अनदेखी करती आई है। नतीजन प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी बेखौफ जारी है। जिसका ताजा उदाहरण हम इसी से ले सकते हैं कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग से निजी स्कूलों द्वारा ली गई फीस का ब्यौरा मांगा था। जो अभी तक 50 फीसदी स्कूलों ने भी नहीं भेजा है। स्कूलों की संख्या में भी गड़बड़ घोटाला किया गया है। पहले पोर्टल पर 51,230 स्कूल दिखाए जा रहे थे और अब मात्र 37, 072 दिखाए जा रहे हैं। विभाग को जवाब देना चाहिए कि बाकी 14 हजार कहां गए। हम इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे।

कमल विश्वकर्मा, अध्यक्ष, पालक महासंघ मप्र

1030 ने भेजी :

अब तक 1030 स्कूलों की ओर जानकारी भेज दी गई है। जल्द ही बाकी स्कूलों की ओर से भी जानकारी आ जाएगी।

नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी

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