कर्नाटक के बाद अब मध्यप्रदेश पर कांग्रेस की नजर, MP आ रही प्रियंका गांधी

कर्नाटक के बाद अब मध्यप्रदेश पर कांग्रेस की नजर, MP आ रही प्रियंका गांधी
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद का्रग्रेस पार्टी की नज़रे अब नवंबर मे होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर है, और इसकी शंखनाद करने के लिए खुद प्रियंका गांधी वाड्रा 12 जून को मध्य प्रदेश आ रही है।

Priyanka Gandhi Visit MP : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद का्रग्रेस पार्टी की नज़रे अब नवंबर मे होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर है, और इसकी शंखनाद करने के लिए खुद प्रियंका गांधी वाड्रा 12 जून को मध्य प्रदेश आ रही है।

प्रियंका करेंगी रोड़ शो

कांग्रेस का चुनावी दौर इस बार महाकौशल से शुरू होेने जा रहा है और इसी सिलसिले मे प्रियंका गांधी जबलपुर आ रही है। प्रियंका गांधी वॉड्रा यहां एक बड़ा रोड शो करने वाली हैं। रोड शो के बाद प्रियंका ग्वारीघाट में मां नर्मदा की पूजन करने के बाद एक जनसभा को भी संबोधित करेंगी। प्रदेश कांग्रेस ने प्रियंका के दौरे को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। प्रियंका की जनसभा में करीब डेढ़ से दो लाख लोगों को जुटाने कि तैयारी की जा रही है। 2018 विधानसभा चुनाव को अगर देखा जाए तो तब राहुल गांधी ने चित्रकूट से चुनाव प्रचार कि शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने जबलपुर में एक रोड शो किया था।

बीजेपी ने मारी पहले बाजी

प्रियंका के महाकौशल आने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही बाजी मार ली है, दरसअल, गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ दिनों पहले ही छिंदवाड़ा का दौरा किया था और जनसभा को संबोधित करते हुए छिंदवाड़ा की सभी सातों सीटे जीतने का दावा किया था।

कांग्रेस को प्रियंका गांधी से उम्मीद है कि वह मध्य प्रदेश मे जान फूंक सकती है और कर्नाटक की तरह कांग्रेस एक बार फिर एमपी में बेहतर प्रदर्शन करें। खबर तो यह भी है कि प्रियंका के अलावा राहुल गांधी और खड़गे भी मध्यप्रदेश का दौरा कर सकते है। वही मुखमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहन योजना को टक्कर देने के लिए कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से नारी सम्मान योजना लांच की है और महिलाओं से इसके लिए आवेदन भी मांगे है। मध्य प्रदेश के इतिहास मे शायद ये पहली बार होगा कि किसी विपक्षी पार्टी ने योजना शुरू की है।

आपको यह भी बता दें कि महाकौशल क्षेत्र यानी जबलपुर संभाग में 8 जिले आते हैं। इनमें 38 विधानसभा सीटें हैं, और 2018 मे भाजपा को 13 विधानसभा सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इस बार भाजपा और कांग्र्रेस दोनों के लिए राह आसान नहीं होने वाली है।

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