आईटी छापों के बीच बोले राघवेंद्र सिंह, कटारे पर पलटवार- 'जिनके रिश्ते सीडी में मिले थे, कैसे लगा सकते हैं आरोप'

भोपाल। प्रॉपर्टी कारोबारी राघवेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गुप्ता के यहां चल रही आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। विभाग ने अहम खुलासा करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार के कई रिटायर्ड अफसरों ने इन दोनों के जरिए बड़े पैमाने पर बेनामी प्रॉपर्टी खरीदी है । आयकर विभाग ने 20 में से 10 ठिकानों पर कार्रवाई पूरी कर ली है।
इस बीच राघवेंद्र सिंह तोमर फेसबुक लाइव के जरिए सामने आए और राजनैतिक रिश्तों पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि- छापों के बीच सोशल मीडिया में हेमंत कटारे समेत कुछ लोग यह रिश्ता क्या कहलाता है चला रहे थे, वह उनसे कहना चाहते हैं कि हमें रिश्ते निभाना आता है। जिनके साथ हमारे संबंध हैं, उसे स्वीकार करने में मुझे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जिन लोगों के रिश्ते पैन ड्राइव और सीडी में मिले थे, वे कैसे इस तरह का आरोप लगा सकते हैं। बेहतर होता कि हेमंत कटारे मर्यादा में रहें।
राघवेंद्र सिंह तोमर आयकर छापों के बाद अपने घर से क्रिकेट एकेडमी पहुंचे थे। यहां पर वे फेसबुक लाइव के जरिए दोस्तों से जुड़े। राघवेंद्र ने कहा कि वे छापों के बारे में कुछ नहीं कहना चाहते। दो दिन चली इस कार्रवाई में आयकर विभाग के पास सारे दस्तावेज हैं। वह जांच करेंगे, जल्द सच सामने आ जाएगा। वे उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह के संबंधों पर फर्क करना जानते हैं। उन्होंने निजी संबंधों का व्यावसायिक फायदे के लिए कभी इस्तेमाल नहीं किया। उनसे जुड़े लोगों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया। आधा फीसदी ही सही, लेकिन उन्होंने फायदा ही कराया है, नुकसान नहीं।
गौरतलब है कि भोपाल में फेथ बिल्डर और उनसे जुड़े 20 ठिकानों पर दो दिन तक आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई की। इसमें 250 एकड़ से ज्यादा की बेनामी जमीन और फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है।
जानकारी के मुताबिक अभी तक छापे की कार्रवाई में कारोबारियों के यहां 250 एकड़ जमीन के सौदे होने की बात सामने आई है। इसमें 100 से अधिक रजिस्ट्रियां अकेले चूड़ीवाला पीयूष गुप्ता के यहां से बरामद हुई हैं। पीयूष गुप्ता ने अपनी दुकान में काम करने वाले छोटे-छोटे लोगों के नाम से भी ये रजिस्ट्रियां करा रखी थीं। इनके वास्तविक मालिक यही से रिटायर्ड नौकरशाह ही बताए जा रहे हैं। अभी तक हुए लगभग सारे जमीन के सौदे पिछले 6 सालों में किए गए हैं।
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