Raghogarh Assembly constituency : राघौगढ़ में हमेशा रहा है ‘किले’ का दबदबा पर...क्या भाजपा के हीरेंद्र इसे ढहा पाएंगे?

Raghogarh Assembly constituency : राघौगढ़ में हमेशा रहा है ‘किले’ का दबदबा पर...क्या भाजपा के हीरेंद्र इसे ढहा पाएंगे?
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प्रदेश के गुने जिले की राघौगढ़ सीट मध्य प्रांत के समय से ही राघौगढ़ राज परिवार के कब्जे में रही है। मध्य प्रदेश गठन के बाद 1962 में चुनाव हुए।

गुना। प्रदेश के गुने जिले की राघौगढ़ सीट मध्य प्रांत के समय से ही राघौगढ़ राज परिवार के कब्जे में रही है। मध्य प्रदेश गठन के बाद 1962 में चुनाव हुए। तब से लेकर अभी तक इस सीट पर अधिकांश समय राघौगढ़ राज परिवार का कब्जा रहा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह 1952 में मध्य प्रांत के लिए विधायक बने। यहां से दिग्विजय सिंह 4 बार, उनके भाई लक्ष्मण सिंह 2 बार विधायक रहे और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह 2 बार से विधायक हैं। इस परिवार के करीबी रहे मूल सिंह दादा भाई दो बार और दुलीचंद एक बार कांग्रेस से चुनाव जीते। इस सीट पर कांग्रेस से इतर दो बार पी लालाराम स्वतंत्र पार्टी से और हर लाल भारतीय जन संघ से निर्वाचित हुए हैं।

इस किले में सेंध लगा पाएंगे

फिलहाल तो सच यही दिखता है कि राघौगढ़ दिग्विजय सिंह का किला है और यह सीट भी उनके किले के तौर पर तब्दील है। उनकी मर्जी के बिना यहां से किसी के जीतने की कल्पना नहीं की जाती। भाजपा ने इस सीट पर कब्जे के लिए अपनों से अपनों को लड़ने की रणनीति अपनाई है। दादा मूल सिंह की गिनती दिग्विजय सिंह के सबसे भरोसेमंद लोगों में होती थी। दिग्विजय के कारण ही वे वर्ष 2008 के चुनाव में जीत कर विधायक बने थे। भाजपा ने उनके बेटे हीरेंद्र सिंह को ही तोड़ लिया। पहले भाजपा में शामिल किया और इसके बाद राघौगढ़ से मैदान में भी उतार दिया। लिहाजा इस बार मुकाबला दिग्विजय के बेटे जयवर्धन और उनके सबसे भरोसे के साथी मूल सिंह के बेटे हीरेंद्र सिंह के बीच होगा। हीरेंद्र का नाम घोषित ही यहां से रोचक मुकाबले की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि वे दिग्विजय के इस किले में सेंध लगा पाएंगे, कह पाना कठिन है।

यादव, धाकड़ समाज निर्णायक

राघौगढ़ विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों की अगर बात करें तो यहां सबसे ज्यादा यादव और धाकड़ समाज। यादव समाज के 35 हजार से अधिक वोटर हैं। दूसरे नंबर पर धाकड़ समाज है। यह भी निर्णायक है। समाज के मतदाताओं की संख्या लगभग 30 हजार है। इसके अलावा लोधा समाज का भी अच्छा प्रभाव है। लोधा समाज के 20000 वोटर हैं और 12 हजार भील हैं। 5000 से अधिक मुस्लिम हैं। इसी तरह जैन और ब्राह्मण भी यहां पर अच्छी संख्या में हैं।

शक्कर कारखाने का मुद्दा चर्चा में

राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मुद्दा चर्चा में है तो वह है नारायणपुरा शक्कर कारखाना। यह शक्कर कारखाना वर्ष 2016 से बंद पड़ा है। कारखाने से जुड़े कर्मचारी, किसान सब परेशान हैं। क्षेत्र के लोग पिछले 3 साल से कारखाने को चालू करने के लिए आवाज उठा रहे हैं। किसानों की 10 करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है। कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल पाया है। इस चुनाव में शक्कर कारखाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य, सड़क बिजली पानी के मुद्दे भी हैं।

भाजपा की ताकत

प्रत्याशी का मजबूत नेटवर्क

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हाल ही में लाड़ली बहना योजना ने महिलाओं के मन को छू लिया है। इसके साथ ही यहां हीरेंद्र सिंह बना को उम्मीदवार बनाया गया है। उनकी क्षेत्रीय स्तर पर पकड़ काफी मजबूत है और वह गांव-गांव में अपने मजबूत नेटवर्क के लिए जाने जाते हैं।

भाजपा की कमजोरी

ग्रामीण क्षेत्रों में काम की जरूरत

भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर संगठन मजबूत करने के लिए ज्यादा काम नहीं किया है। भाजपा का संगठन यहां पर खासकर ग्रामीण क्षेत्र में कमजोर है। चुनाव में बूथ मैनेजमेंट सबसे ज्यादा जरूरी होता है और इसमें अभी भाजपा को और काम करने की जरूरत है।

कांग्रेस की ताकत

प्रत्याशी ही बड़ी ताकत

कांग्रेस से यहां वर्तमान में विधायक जयवर्धन सिंह हैं। युवा होने के साथ ही सहज, सरल हैं और लोगों से सीधा संवाद है। जयवर्धन ही यहां से कैंडिडेट हो सकते हैं। संगठन काफी मजबूत है। बूथ स्तर पर भी कांग्रेस ने काफी काम किया है। कैंडिडेट के खिलाफ परिवारवाद को लेकर ही विरोध।

कांग्रेस की कमजोरी

कार्यकर्ताओं में असंतोष

राघौगढ़ सीट की बात करें तो यहां एक ही परिवार का कब्जा रहा है। इससे पार्टी के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं में आंतरिक असंतोष रहता है। उनको विधायक की आलोचना करने का अवसर नहीं मिलता। दिग्विजय सिंह और उनका परिवार क्षेत्र के लोगों के साथ हर सुख-दुख में साथ खड़े नजर आते हैं।

प्रमुख दावेदार

भाजपा

हीरेंद्र सिंह को बनाया प्रत्याशी

भारतीय जनता पार्टी ने राघौगढ़ सीट से हीरेंद्र सिंह बना को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस छोड़कर आए हीरेंद्र ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति में राघौगढ़ में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। उनकी सदस्यता ग्रहण करते ही यह माना जा रहा था कि वह आगामी चुनाव में यहां से भाजपा के चेहरे होंगे और भाजपा ने उनको चुनावी मैदान में उतार भी दिया है। दूसरी सूची में उनका नाम आते ही यहां पर तैयारी और जोर-शोर से चलने लगी है।

कांग्रेस

जयवर्धन एक मात्र दावेदार

राघौगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के एकमात्र दावेदार जयवर्धन सिंह हैं। वे पिछले दो बार से लगातार जीतते आ रहे हैं। इसके अलावा युवा चेहरा होने के साथ-साथ मध्य प्रदेश की अन्य सीटों पर भी अपने व्यक्तित्व का प्रभाव डाल रहे हैं। कांग्रेस से वे ही एकमात्र दावेदार हैं। कांग्रेस अपनी प्रत्याशियों की सूची में उनके नाम की घोषणा कर सकती है।

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