कच्चे का क्रेज खत्म, कैरेट में बिक रहा पका केला: दामों में आसमानी तेजी, उपवास के कारण बढ़ी मांग

भोपाल। सावन के महीने में अधिकतर श्रृद्धालु और कांवडिए फलाहार ही लेते हैं। उपवास के कारण केले की त्यौहार में डिमांड बढ़ जाती है। शिविरों में केले की बहुतायत रहती है, लेकिन इस बार केले के दाम में आसमानी तेजी है। स्थानीय करोंद स्थित थोक फल मंडी में पका हुआ केला 30 से 40 रुपए दर्जन क्वालिटीनुसार बिक रहा है। हाट बाजार और ठेलों में इसके दाम 50 से 80 रुपए दर्जन तक हैं।
बाढ़ की वजह से घटी आवक
फल व्यापार कमल शेजवार और केले के थोक कारोबारी मो.असलम के अनुसार केला उत्पादक क्षेत्रों में बाढ़ की वजह से केले की आवक घटी है। बढिय़ा किस्म के केला का फुटकर दाम 70 से 80 रुपये दर्जन बोला जा रहा है। व्यापारी असलम बताते है कि स्थानीय थोक फल मंडी में कच्चा केला बिकने का के्रज कम हो गया है। व्यापारी अब उत्पादक क्षेत्र से कच्चा केला सीधे अपने चेम्बरों में बुला रहे हैं, वहीं केला पका रहे हैं और पका हुआ केले की बिक्री कर रहे हैं। उनके अनुसार केला उत्पादक क्षेत्र बुरहानपुर, भुसावल से भोपाल में 3 से 4 गाड़ी कच्चे केले की रोजाना आवक है। उत्पादक क्षेत्र में कच्चा केला क्वालिटीनुसार 2500 से 3000 रुपए क्विंटल बोला जा रहा है। फल व्यापारी कमल शेजवार के अनुसार सेब आवक का दबाव मंडी में धीरे-धीरे बढ़ रहा हैं जो क्वालिटीनुसार 40 से 100 रुपए किलो बोला जा रहा है। स्थानीय फल में पपीता, सेब, नासपाती सहित अन्य फलों की कुल आवक 20 गाड़ी की है।
ढाई गुना महंगा हुआ केला
करोंद फल मंडी में इन दिनों केले की कीमत आसमान छू रही है। 12 दर्जन केले की जो कैरेट 200-250 रुपये में मिल रही थी अब वही कैरेट 500 से 650 रुपए की मिल रही है। यही वजह है कि खुदरा में केला 50-80 रुपये दर्जन बिक रहा है। केले की आसमानी छूती कीमतों के चलते शहर के कई केला कारोबारियों के गोदामों पर ताले लग गए है। कारोबारियों ने बताया कि केले की कीमतें अभी और बढऩे का अनुमान है।
इस वजह से बढ़े केले के दाम
मध्यप्रदेश ही नहीं देशभर में ज्यादातर केला महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश से आता है। एक तो वहां बाढ़ का असर है। साथ ही वहां से इन दिनों केले का निर्यात बढ़ गया है। विदेशी बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिल रहा है। इसलिए घरेलू बाजार में सप्लाई घटी है। इसलिए पिछले तीन महीने से केले की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
एसी प्लांट लगाने से भी बढ़ा खर्च
केला कारोबारियों का कहना है कि पहले केले को बर्फ लगा कर पकाया जाता था। अब ज्यादातर लोगों ने केले को तैयार करने के लिए एसी प्लांट लगा लिए है। केले को अलग अलग क्रेटों में भरकर गोदाम में लगा दिया जाता है। केले पकाने के लिए पहले उसके ऊपर केमिकल लगाया जाता है। इसके बाद गोदाम को लॉक करने के बाद एसी प्लांट चालू कर दिया जाता है। लगातार एसी चलने की वजह से भारी-भरकम बिजली बिल आता है।
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