ओमिक्रॉन के इलाज को लेकर आइसीएमआर ने कहा- स्टेरॉयड का इस्तेमाल हो सकता है घातक, यह सलाह भी दी

भोपाल। कोरोना के ऐसे संक्रमित जिन्हें हल्के लक्षण हैं इसके बावजूद उन्हें दो से तीन सप्ताह तक लगातार खांसी बनी हुई है। बुखार भी है तो इन्हें टीबी की जांच जरूर कराना चाहिए। ताकि हकीकत का पता चल सके। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने तीसरी लहर और पहले के मरीजों में आ रही टीबी के संक्रमण की जानकारी के बाद केन्द्र सरकार को मरीजों के इलाज के लिए संशोधित गाइडलाइन दी है। आइसीएमआर का कहना है कि कोरोना से फैफडे़ कमजोर हो जाते हैं जिससे इन पर टीबी के संक्रमण की खतरा सबसे ज्यादा होता है। गाइडलाइन में आईसीएमआर ने ओमिक्रॉन के उपचार को लेकर भी केन्द्र सरकार को सलाह दी है।
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने की सलाह
देशभर में ओमिक्रॉन मरीजों को स्टेरायड देने की शिकायते हिमल रही हैं। एेसे मंे आइसीएमआर ने बेवजह स्टेरायड के इस्तेमाल ना करने को कहा है। नई गाइडलाइन मंे कहा गया है कि अति गंभीर मरीजों की जान बचाने, अनियंत्रित डायबिटीज व सांस के गंभीर मरीजों की बिगड़ती स्थिति को रोकने के लिए स्टेरायड दी जा सकती हैं, वह भी सीमित मात्रा में। मालूम हो कि दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड के इस्तेमाल के बाद म्यूकर माइकोसिस जैसे मामले बढ़ गए थे।
तीन कैटेगिरी में दी इलाज की सलाह
- न आक्सीजन लेवल घटे और न ही सांस फूले, हल्के लक्षण हैं तो मरीज होम आइसोलेशन में रहेंगे।
- सांस लेने में दिक्कत हो आक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओटू) 93 से नीचे हो तो अस्पताल में आक्सीजन सपोर्ट पर रखें।
- एसपीओटू 90 से नीचे चला जाए। आइसीयू में भर्ती कर आक्सीजन सपोर्ट पर रखें, स्थिति गंभीर हो रही है तो एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर और स्टेरायड के इस्तेमाल की अनुमति होगी।
जरूर कराएं टीबी की जांच
विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्ग व्यक्ति, जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है। मधुमेह, हाइपरटेंशन, दिल की बीमारी, हार्ट में ब्लाकेज, टीबी, एचआइवी, फेफ ड़े, लिवर, किडनी व मोटापा से पीडि़त हैं। हल्के कोविड संक्रमण से जूझ रहे ऐसे मरीज, जिन्हें 5 दिन से ज्यादा समय तक सांस लेने में दिक्कत हो, तो टीबी की जांच कराना बहुत जरूरी है।
इनका कहना है-
कोरोना के संक्रमण की वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम हाइपर इम्यून रिएक्शन देने लगता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि शरीर को वायरस से बचाने वाला तंत्र शरीर के खिलाफ ही काम करने लगता है। ऐसे में स्टेरायड थेरेपी देनी पड़ती है। यही नहीं कोरोना के बाद फैफड़े कमजोर होते हैं, एेसे में तीनों लहर के बाद किसी मरीज को दो से तन सप्ताह तक खांसी हो तो टीबी का संक्रमण हो सकता है।
डॉ. पराग शर्मा
एसोसिएट प्रोफेसर, रीजनल रेस्पेरेटरी इंस्टीट्यूट
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