एम्स में मरीजों के इलाज को लेकर फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार, जानिए कितने खुश और कितने रहे असंतुष्ट

एम्स में मरीजों  के इलाज को लेकर फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार, जानिए कितने खुश और कितने रहे असंतुष्ट
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ओपीडी में आने वाले मरीज और अस्पताल में भर्ती मरीजों का फीडबैक लिया गया है। फीडबैक के अनुसार 32 फीसदी मरीज अस्पताल व्यवस्था से बेहद संतुष्ट हैं। 47 फीसदी लोगों का कहना है कि वह केवल ‘संतुष्ट’ हैं जबकि 21 फीसदी लोगो का कहना है कि वह अस्पताल व्यवस्था से ‘संतुष्ट’ नहीं' हैं। बता दें, यह फीडबैक 2020-21 में अस्पताल में इलाज के लिए आए लोगों से लिए गए हैं।

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ओपीडी में आने वाले मरीज और अस्पताल में भर्ती मरीजों का फीडबैक लिया गया है। फीडबैक के अनुसार 32 फीसदी मरीज अस्पताल व्यवस्था से बेहद संतुष्ट हैं। 47 फीसदी लोगों का कहना है कि वह केवल 'संतुष्ट' हैं जबकि 21 फीसदी लोगो का कहना है कि वह अस्पताल व्यवस्था से 'संतुष्ट' नहीं' हैं। बता दें, यह फीडबैक 2020-21 में अस्पताल में इलाज के लिए आए लोगों से लिए गए हैं।

28 फीसदी स्टाफ के व्यवहार से नाखुश

फीडबैक में करीब 6 हजार मरीजों को शामिल किया गया था। मरीजों की असंतुष्टि की बात की जाए तो 28 फीसदी लोग एम्स के स्टाफ के व्यवहार से नाखुश हैं। जबक 8 फीसदी लोग साफ सफाई, 15 फीसदी इलाज पर होने वाले खर्च और 16 फीसदी इलाज की क्वालिटी और बाकी अन्य कारणों से नाखुश हैं। जानकारी के मुताबिक 261 असंतुष्ट मरीजों में 42 फीसदी वार्ड बॉय, 34 फीसदी डॉक्टरों के व्यवहार, 10 फीसदी लोग नर्सों के व्यवहार और 9 फीसदी मरीज टेक्नीशियन के स्वभाव से नाखुश हैं।

सरकारी अस्पताल में शुरू नहीं हो पाया फीडबैक

करीब तीन साल पहले जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों से फीडबैक लेने के निर्देश स्वास्थ्य संचनालय ने जारी किए थे। इसके तहत ओपीडी में आने वाले 10 फीसदी और 5 फीसदी भर्ती मरीजों से फीडबैक लिया जाना था। हालांकि अधिकतर अस्पतालों में यह फीडबैक कागजों तक ही सीमित रह गया।

फीडबैक से कमियों का चलता है पता

ज्यादातर मरीज संतुष्ट हैं। अस्पताल जैसे ही पूरी तरह से शुरू होता है वैसे ही इलाज में लगने वाला समय भी कम हो जाएगा। मरीजों के सुझावों से हमें अपनी कमियां पता चलती हैं जिन्हें हम दूर भी करते हैं। इसलिए फीडबैक लिए जा रहे हैं।

डॉ मनीषा श्रीवास्तव, अधीक्षक, एम्स भोपाल

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