एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया कोई आदेश, बनी रहेगी मौजूदा स्थिति, जानिए निर्णय में और क्या कहा

एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया कोई आदेश, बनी रहेगी मौजूदा स्थिति, जानिए निर्णय में और क्या कहा
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सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर अपने फैसला भी सुना दिया और कोई निर्णय भी नहीं दिया। आदेश के अनुसार फिलहाल एससी-एसटी को पदोन्नति मामले में यथास्थिति बरकरार रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा, इस पर केंद्र सरकार फैसला करे। हम अपनी तरफ से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 6 बिंदू तय किए हैं। अब अलग-अलग मुद्दों पर इन बिंदुओं के आधार पर देखा जाएगा कि केंद्र या राज्य सरकार ने क्या किया है। ऐसे मामलों की सुनवाई अब 24 फरवरी से होगा।

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर अपने फैसला भी सुना दिया और कोई निर्णय भी नहीं दिया। आदेश के अनुसार फिलहाल एससी-एसटी को पदोन्नति मामले में यथास्थिति बरकरार रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा, इस पर केंद्र सरकार फैसला करे। हम अपनी तरफ से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। कोई भी फैसला करने से पहले उच्च पदों पर नियुक्ति का आंकड़ा जुटाना जरूरी है। यानी वस्तु स्थिति बरकरार रहेगी।

6 बिंदु किए तय, अब 24 फरवरी को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 6 बिंदू तय किए हैं। अब अलग-अलग मुद्दों पर इन बिंदुओं के आधार पर देखा जाएगा कि केंद्र या राज्य सरकार ने क्या किया है। ऐसे मामलों की सुनवाई अब 24 फरवरी से होगा। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह के साथ ही मध्य प्रदेश, झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ वकीलों ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा।

कोर्ट में यह कहा था केंद्र सरकार ने

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह सच है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लोगों को अगड़ी जातियों के स्तर पर नहीं लाया जा सका है। वेणुगोपाल ने तर्क दिया था कि एससी और एसटी समुदायों के लोगों के लिए ग्रुप "ए" श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है। अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट एससी, एसटी और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रिक्त पदों को भरने के लिए कुछ ठोस आधार दे।

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