निगम पर लिफ्ट, फायर, लिफ्ट की जिम्मेदारी, एक्सपर्ट एक कर्मचारी नहीं

भोपाल। राजधानी भोपाल में लिफ्ट, फायर से लेकर आॅक्सीजन प्लांट तक के जांच की जिम्मेदारी निगम के पास है। बावजूद उसके निगम के पास इनकी जांच के लिए कोई प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं है। ऐसे में इन मामलों की जांच दैवभो कर्मचारियों के पास है। इससे साफ है कि, जांच के नाम पर शहरवासियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। फायर सेफ्टी की बात करें तो, निगम के पास एक दो कर्मचारी फिर भी प्रशिक्षित हैं। लेकिन लिफ्ट और आॅक्सीजन प्लांट को लेकर कोई प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं है। ऐसे में राजधानी में लगने वाली लिफ्ट और आॅक्सीजन प्लांट की जांच भगवान भरोसे है। दरअसल भोपाल में लोगों की सुविधाओं को लेकर प्रोजेक्ट तो शुरु कर दिए जातें हैं। लेकिन लेकिन संबंधित विधाओं में एक्सपर्ट न होने से रहवासियों को इन प्रोजेक्ट्स का फायदा मिलने के बजाए, लोगों की परेशानी का सबब बन गए है। शहरी व आवास विभाग स्मार्ट सिटी के साथ अन्य शहरों में भी इन्हे लागू करने जा रहा है। भोपाल-इंदौर जैसे प्रदेश के बड़े शहरो तक में फायर सेफ्टी, लिफ्ट मैनेजमेंट, अस्पतालों में आॅक्सीजन प्लांट व खुद निकायों द्वारा तैयार किए गए आॅक्सीजन प्लांटों की निगरानी के लिए एक्सपर्ट टैक्नीशियन नहीं है। यदि सरकार ने यहां पर एक्सपर्ट तैयार किए बिना योजनाएं लागू की तो, इनका भी हाल बीआरटीएस कॉरिडोर जैसा हो सकता है।
अभी यह है स्थिति:
फायर सेफ्टी कोर्स: यह कोर्स देशभर में केवल दस स्थानों पर ही होतें हैं। जबकि फायर शाखा देश की सभी निकायों में मौजूद है। अगर भोपाल की बात करें तो, यहां के फायर अमले की कितने डिप्लोमा वाले कर्मचारी है। इसकी स्थिति साफ नहीं है।
सीवरेज: वाटर ट्रीटमेंट और सीवेज को लेकर कोर्स देश में केवल पांच स्थानों पर ही होतें हैं। जबिक वर्तमान समय में देशभर में अमृत योजना व जेएनयूआरएएम योजना के चलते बड़े स्तर पर प्रोजेक्ट्स चल रहें हैं। भोपाल में इसकी जिम्मेदारी सिविल व मैकेनिकल इंजीनियर के पास है।
ट्री शिफ्टिंग: देश में ट्री शिफ्टिंग को लेकर एक भी प्रशिक्षण संस्थान नहीं है। जिससे भारी भरकम राशि खर्च करने बाद भी पेड़ शिफ्टिंग के दौरान उनकी मौत हो जाती है। भोपाल में बीआरटीएस कॉरिडोर के चलते 150 पेड़ों शिफ्टिंग की गई थी। लेकिन इनमें से एक भी पेड़ को जीवित नहीं बचाया जा सका था। हाल ही में टीटी नगर से सैकड़ों पेड़ों की शिफ्टिंग कराई गई है। लेकिन इनकी स्थिति भी खराब है।
आॅक्सीजन प्लांट: देशभर में नगरीय निकायों की मदद से 1500 नए आॅक्सीजन प्लांट विकसित किए जा रहे है। लेकिन इन नगरीय निकायों के पास आॅक्सीजन प्लांट की जांच पड़ताल को लेकर कोई एक्सपर्ट कर्मचारी नहीं है। भोपाल नगर निगम ने भी राजधानी में चार स्थानों पर आॅक्सीजन प्लांट लगाए है।
योजनाओं को एक्सपर्ट के माध्यम से शुरु किया जा रहा है। नगरीय निकाय स्तर पर भी एक्सपर्ट काम देखें, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। निकुंज श्रीवास्तव, अपर आयुक्त, नगरीय निकाय
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