Samvad 2023 : दिग्गजों ने दिए आईएनएच व हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ.हिमांशु द्विवेदी के सवालों के जवाब

बैतूल। सांसद दुर्गागास उइके ने स्वीकार किया कि आपसी मतभेद के कारण 2018 के चुनावों में जिले में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 2018 में दूसरा कारण यह था कि कांग्रेस ने झूठे वादे किए थे। जिसके कारण जनादेश दिग्भ्रमित हुआ। लेकिन, जनता को अपनी गलती का अहसास जल्द हो गया और 6 महीने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता मिली। सड़कों और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कामों का संचालन किया जा रहा है।
नाथ सरकार ने भर-भर कर झूठे वादे किए
उन्होंने कहा कि झूठे वादे, उस कालखंड में किए गए कि 2 लाख तक हम ऋण माफ करेंगे, तो जनता उसमें दिग्भ्रमित हुई। दूसरा पक्ष था कि तब हम स्वयंसेवी संस्थाओं का जो ऋण है, वह हम माफ करेंगे। हम अब बेरोजगारों को हम बेरोजगारी भत्ता देंगे, हम जो वृद्धावस्था पेंशन है, अविवाहित है, दिव्यांग पेंशन है, उसको हम बढ़ाएंगे। इस तरह से कुछ झूठे वादे जो समाजSamvad 2023 : दिग्गजों ने दिए आईएनएच व हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ.हिमांशु द्विवेदी के सवालों के जवाब में प्रचलित हुए और और से जनता अधिक भ्रमित हुई। हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 2004 के बाद में मध्यप्रदेश बीमारू राज्य से निकलकर स्वर्णिम मध्य प्रदेश की दिशा में समय-समय अग्रसर था। किंतु कुछ यह झूठे वादों की वजह से जनता भ्रमित हुई और यह अप्रत्याशित परिणाम प्राप्त हुआ। स्थानीय सांसद ने आश्वासन दिया कि जल्द ही मेडीकल कालेज की सौगात प्रदेश को मिल जाएगी। उइके ने कहा कि बैतूल-भोपाल राजमार्ग का भी काम तेजी से चल रहा है। पहला वाला ठेकेदार फेल हो गया था। उसके काम की समीक्षा हुई। अब नए सिरे से काम हो रहा है। मैं खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहा हूं। बैतूल-नागपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस के लिए भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बात हुई है। वे सिद्धांतः राजी हैं। जल्द ही इसकी घोषणा होगी।
कोई तीन से चार बार जीते तो मंत्री बने फिर भी विधायकों ने खूब ‘सौगातें’ दीं
पूर्व सांसद व कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि जो मंत्रिमंडल है, उसमें 32 से 34 मंत्री रहते हैं और 52 जिले हैं कई बार जब मंत्रिमंडल बनता है तो उसमें जो 3 बार जीते, 4 बार जीते, 5 बार जीते ऐसे विधायकों को प्राथमिकता दी जाती है। जैसे सागर जिले से 2-2, 3-3 मंत्री बनते हैं। स्वभाविक तौर पर बैतूल को बैतूल की जनता ने भाजपा को बहुत दिया, लेकिन कई बार सीनियरिटी आगे आती है, कोई भी जन जनप्रतिनिधि तीसरी चौथी बार भारतीय जनता पार्टी से लगातार नहीं बना और इसलिए कई बाहर बैतूल पीछे रह जाता है। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि मध्य प्रदेश में सबसे 2013 से 2018 में लगभग 11 से 12 डैम बने। लगभग 50000 हेक्टेयर का एरिया सिंचित लगभग 35 से 50 हजार हुए। मैं समझता हूं कि बाजू के जिलों में देख लें, तो शायद इतनी बड़ी-बड़ी परियोजनाएं इन जिलों में नहीं मिली। पेयजल को लेकर बैतूल में बहुत काम हुआ। हमारे नगरपालिका को 30-30 करोड़ की सौगात दी गई। अगर आप हेल्थ के विषय में बात करें तो बैतूल प्रदेश का अकेला जिला होगा, जिसको 20 करोड़ की राशि ढाई सौ बेड की साैगात राज्य सरकार से मिली और ढाई सौ बेड की राशि केंद्र सरकार से मिली। आदिवासी परियोजना से शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा क्षेत्र में, सेंट्रल रोड फंड से पूरे प्रदेश को 700 सौ करोड़ आया था, लेकिन गडकरी जी ने शिवराज जी के कहने पर ढाई सौ करोड़ मात्र बैतूल को दिए। बैतूल आमला और मुलताई रोड मिली। तो बैतूल से प्यार भारतीय जनता पार्टी है। मंत्रिमंडल में आना नहीं आना यह मुख्यमंत्री और परिस्थिति पर निर्भर करता है।
बोले प्रताप : जनप्रतिनिधिय़ों के प्रयासों
बैतूल। कांग्रेस के विधायक प्रताप सिंह उइके का कहना है कि विकास को लेकर जो योजनाएं बनाई जाती हैं, उन योजनाओं के जब टेंडर किए जाते हैं, क्यों इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता है कि टेंडर के पहले ही सभी विभागों की एनओसी, डायवर्सन का काम पहले क्यों नहीं किया जाता है। टेंडर कर दिए जाते हैं, बाद में एनओसी का बहाना बनाया जाता है और काम में देरी की जाती है। कांग्रेस विधायक का कहना है कि इस प्रकार का काम सिर्फ अपने देश में होता है, विदेश में इस प्रकार के काम नहीं होते हैं। कांग्रेस विधायक से सवाल किया गया कि छिंदवाड़ा, अमरावती, भोपाल जैसे जिलों की तुलना में बैतूल कहां खड़ा है? इस सवाल के जबाब में विधायक का कहना है कि जनप्रतिनिधिय़ों के प्रयासों में कुछ तो कमी है। इसमें कांग्रेस भी शामिल है। उनसे सवाल था कि 2018 में बैतूल की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया, चार सीटें दी, आप लोगों ने जनता के इस समर्थन के बदले क्या किया? इस सवाल के जबाव में कांग्रेस विधायक का कहना है कि जनप्रतिनिधि बहुत कुछ करना चाहते थे, योजनाएं भी तैयार हो गईं थी, लेकिन 15 महीनों में सरकार चली गई। बाद की सरकार ने कुछ योजनाएं बंद कर दीं, कुछ योजनाओं का श्रेय खुद ले लिया।
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