Shamshabad Vidhan Sabha Seat : लगातार चार बार जीत से भाजपा का गढ़ बन गई शमशाबाद सीट, अभी ‘हवा का रुख’ साफ नहीं

विदिशा। वर्ष 1977 में नक्शे पर आई शमशाबाद विधानसभा सीट का इतिहास मिला जुला है। यहां से लगभग हर वर्ग का नेता विधायक चुना जाता रहा है। यहां से जनता पार्टी, जनसंघ, भाजपा और अजेय भारत पार्टी तक के उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। 1977 में यहां जनता पार्टी के टिकट पर गिरीश चंद्र वर्मा विधायक चुने गए तो 1980 में बृजमोहनदास माहेश्वरी भाजपा के टिकट पर विधायक बने। 1985 में इस सीट से कांग्रेस के डॉ. मेहताब सिंह उम्मीदवार बने और विधायक भी चुने गए। वर्ष 1990-91 में प्रेमनारायण शर्मा को भाजपा से टिकट मिला तो कांग्रेस ने तत्कालीन वर्तमान विधायक डॉ. मेहताब सिंह यादव का टिकट काटकर गिरीश चंद्र वर्मा को मैदान में उतारा। इस चुनाव में भाजपा के प्रेमनारायण शर्मा विधायक चुने गए। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, लेकिन सरकार गिरने के बाद 1993 में मध्यावधि चुनाव हुए और भाजपा से प्रेमनारायण शर्मा दूसरी बार विधायक चुने गए।
भाजपा की जीत हुई
1998 में भाजपा ने प्रेमनारायण शर्मा का टिकट काटकर बदन सिंह रघुवंशी को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने नर्बदा प्रसाद शर्मा को विदिशा से चुनाव लड़ने भेजा। लेकिन ये दोनों हार गए और अजेय भारत नामक पार्टी से चुनाव लड़े रुद्रप्रताप सिंह जीत गए। 2003 में भाजपा ने राघवजी को और कांग्रेस ने रुद्रप्रताप सिंह को मैदान में उतारा तो 23 हजार मतों के अंतर भाजपा जीती। 2008 में भाजपा ने सूर्यप्रकाश मीणा को और कांग्रेस ने सिंधु विक्रम सिंह को चुनाव लड़ाया और भाजपा के मीणा विधायक चुने गए। वर्ष 2013 में भाजपा ने फिर सूर्यप्रकाश मीणा को और कांग्रेस ने ज्योत्सना यादव को टिकट दिया। इस चुनाव में हार जीत का अंतर बहुत कम रहा, लेकिन सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रहा। वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा ने सूर्यप्रकाश मीणा की जगह कांग्रेस नेता राजश्री को टिकट दिया और कांग्रेस ने पुन: ज्योत्सना यादव को उम्मीदवार बनाया, लेकिन भाजपा की जीत हुई।
शमशाबाद में जातिवाद बेअसर
शमशाबाद विधानसभा ऐसा क्षेत्र है, जहां मतदाता तो लगभग हर वर्ग के हैं, लेकिन चुनाव में यहां जातिवाद का असर नहीं रहता। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में सामान्य वर्ग के मतदाता 25 फीसदी से अधिक हैं। सामान्य में सर्वाधिक मतदाता ब्राह्मण समाज के हैं तो वहीं रघुवंशी 7 प्रतिशत, राजपूत 5 प्रतिशत एवं बघेल 3 प्रतिशत शामिल हैं। क्षेत्र में यादव जाति और मीना समाज के मतदाता लगभग 10-10 प्रतिशत हैं। कुशवाह और धाकड़ जाति का प्रतिशत 5 से 6 के आसपास है। अनुसूचित जाति वर्ग के मदाताओं की संख्या 15 प्रतिशत हैं तो वहीं आदिवासी वर्ग के मतदाता भी 4 प्रतिशत हैं। अल्पसंख्यक वर्ग 6 प्रतिशत है।
पत्रकार की टिप्पणी
शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र भले ही भाजपा का गढ़ रहा हो, लेकिन पिछले दस वर्षों में इस क्षेत्र से भाजपा कमजोर ही हुई है, इसकी गवाही चुनाव परिणामों में विजेता और प्रतिद्वंदी के बीच घटता अंतर भी देते हंै। बीते पांच वर्षों में सत्ता पक्ष ने यह अंतर बढ़ाने की दिशा में प्रयास तो किए, लेकिन आपसी गुटबाजी इन प्रयासों पर पानी फेर सकती है। इस क्षेत्र में वर्तमान विधायक के अलावा चार अन्य दावेदार हैं। यदि किसी एक को भी टिकट मिलता है तो अन्य लोगों के असंतोष को मैनेज करना भाजपा के लिए मुश्किल होगा। इधर, भाजपा के बीच चल रही आंतरिक कलह और वर्तमान विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी से कांग्रेस के दावेदार इस बार काफी उत्साहित हैं, लेकिन उनके दल में भी गुटबाजी कम नहीं है। कांग्रेस में भी चार से अधिक दावेदार हैं और सब अपने आपको जिताऊ मान रहे हैं। हालांकि जमीनी स्तर पर एक – दो दावेदार ही पूरे पांच साल सक्रिय रहे हैं। दोनों दलों में टिकट वितरण के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। फिलहाल यह जरूर कहा जा सकता है कि इस बार शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला कांटे का होगा। भाजपा जहां लाड़ली बहना और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के बलबूते क्षेत्र में जीत के प्रति आशान्वित है, वहीं कांग्रेस को कमलनाथ की पांच गारंटी से उम्मीद है। अब देखना ये है कि क्षेत्र के मतदाता किस पर भरोसा करते हैं।
- अजय जैन, वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा की ताकत
विकास के काम बनेंगे ताकत
वर्ष 2003 में भाजपा की सरकार बनते ही यहां कई कार्य हुए, जो भाजपा की मजबूती के प्रमुख कारण हैं। शमशाबाद बांह नदी पर संजय सागर बांध और सगड़ नदी पर बनाए गए बांध से क्षेत्र के कई गांव सिंचित हो गए हैं। हलाली बांध की नहरों से भी शमशाबाद क्षेत्र के ही सर्वाधिक गांव सिंचित हैं। इसके चलते यह इस विधानसभा के 90 प्रतिशत गांव नहर से सिंचित हाे चुके हैं। सड़कों का सबसे सघन नेटवर्क यहां के गांवों में है। इसके अलावा यहां का जातिगत वोट बैंक भी भाजपा के पक्ष में मजबूत है।
भाजपा की कमजोरी
कार्यकर्ताओं की नाराजगी कमजोरी
शमशाबाद भाजपा का गढ़ तो है, लेकिन यहां के जनप्रतिनिधियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं की सदैव उपेक्षा की। चुनाव में यह पार्टी की कमजोरी साबित हो सकती है। क्योंकि शमशाबाद क्षेत्र का भाजपा कार्यकर्ता अपने ही पार्टी के नेताओं से निराश है और नेता भी लगभग कार्यकर्ताओं का विश्वास खोते नजर आ रहे हैं। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने कई बार चेहरे भी बदले। इसका लाभ भी भाजपा को मिला और उम्मीदवार चुनाव जीतते भी रहे। अब भाजपा कार्यकर्ताओं को मजबूत नेतृत्व चाहिए जो कि भाजपा के पास नजर नहीं आ रहा है। इस बार कार्यकर्ता तभी काम करेगा, जब उसे नेता मजबूत मिलेगा।
कांग्रेस की ताकत
एंटी इंकम्बेंसी से मिलेगी ताकत
भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही कांग्रेस की ताकत बन सकती है। पार्टी को सरकार और भाजपा विधायक के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी से लाभ हो सकता है। कांग्रेस क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार और अधूरे कार्यों को उठाकर ताकत बटाेरने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के जितने भी दावेदार हैं, उनके से अधिकांश बेदाग छवि के हैं। इसका लाभ भी पार्टी को मिल सकता है।
कांग्रेस की कमजोरी
गुटबाजी व भितरघात से होगा भारी नुकसान
क्षेत्र में कांग्रेस के पास भाजपा से भी ज्यादा कार्यकर्ता हैं और मजबूत भी। लेकिन कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी और आपसी भीतरघात पार्टी को शमशाबाद के अंदर कमजोर बना देती है। भाजपा के पास मतदाताओं को लुभाने के लिए योजनाएं हैं और लगातार चार सरकारों में हुए कार्य गिनाने के लिए सूची लंबी है। कांग्रेस के पास यह सब नहीं है और यह उसकी कमजोरी मानी जा रही है।
क्या काम हुए
दो परियोजनाओं से 231 गांवों में नल कनेक्शन
नटेरन और शमशाबाद में कॉलेज प्रारंभ
सिंचाई का रकबा बढ़ा
जो नहीं हो पाए
खताखेड़ी लिफ्ट सिंचाई से वंचित आधा दर्जन गांव
खामखेड़ा क्षेत्र में तहसील नहीं खुली
नटेरन के दर्जनभर गांवों को सिंचाई के लिए पानी नहीं
प्रमुख दावेदार
भाजपा
राजश्री, सूर्य प्रकाश प्रमुख दावेदार
वर्तमान विधायक राजश्री सिंह को पूर्ण विश्वास है कि भाजपा टिकट उन्हे ही मिलेगा, लेकिन बदलाव की चर्चा पूरे क्षेत्र में है। इसके चलते वर्ष 2008 और 2013 में विधायक रहे सूर्य प्रकाश मीणा को फिर से उम्मीद है कि उन्हें इस बार उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इनके अलावा जिला सहकारी बैंक के चेयरमेन रह चुके श्यामसुंदर शर्मा का नाम भी चर्चाओं में है और वे कार्यकर्ताओं की पसंद हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा दौरे के दौरान जब अचानक पूर्व वित्तमंत्री राघवजी से मिलने उनके निवास पर पहुंचे, इसके बाद उनकी बेटी ज्योति शाह का नाम भी चर्चाओं में आ गया है। इनके अलावा युवाओं में हेमराज बघेल, ह्रदेश बघेल और राजेंद्र जैन भी दावेदारी कर रहे हैं।
कांग्रेस
सिंधु विक्रम, ज्योत्सना के नाम आगे
बदले माहौल में उम्मीद देख रही काग्रेस की ओर से 2008 का चुनाव हारे कांग्रेस के सिंधु विक्रम सिंह प्रमुख दावेदार हैं। वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं और सहज सरल स्वभाव होने के कारण इस बार उनके प्रति सहानुभूति की लहर है। इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से जितने भी नाम चर्चाओं में हैं, वे सभी बेदाग छबि वाले हैं। जिनमें युवक कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री शिवेंद्र प्रताप सिंह, राजेश दुबे बर्रो से लेकर ज्योत्सना यादव का नाम निर्विवाद है।
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