माधवराव की जयंती पर आज माधव राष्ट्रीय उद्यान में तीन बाघ छोड़ेंगे शिवराज-ज्याेतिरादित्य, शिवपुरी में कई कार्यक्रम

माधवराव की जयंती पर आज माधव राष्ट्रीय उद्यान में तीन बाघ छोड़ेंगे शिवराज-ज्याेतिरादित्य, शिवपुरी में कई कार्यक्रम
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पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाशवासी माधवराव सिंधिया की जयंती पर आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई नेता शिवपुरी पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर शिवराज और ज्योतिरादित्य माधव राष्ट्रीय उद्यान में तीन बाघ छोड़ेंगे। इसके अलावा माधवराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शिवपुरी में आयोजित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।

भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाशवासी माधवराव सिंधिया की जयंती पर आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई नेता शिवपुरी पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर शिवराज और ज्योतिरादित्य माधव राष्ट्रीय उद्यान में तीन बाघ छोड़ेंगे। इसके अलावा माधवराव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शिवपुरी में आयोजित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया सहित क्षेत्र के जन-प्रतिनिधि शामिल होंगे। मुख्यमंत्री भेापाल से 12 बजे रवाना होकर डेढ़ बजे माधव राष्ट्रीय उद्यान पहुंच जाएंगे।

शिवपुरी में ये कार्यक्रम

बाघों को छोड़ने और बाघ मित्रों से चर्चा के बाद सभी नेता शिवपुरी पहुंचेंगे। यहां दो बत्ती चौराहा से पाेलो ग्राउंड तक रो शाे होगा। विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास होगा। हितग्राहियों को हितलाभ वितरण किया जाएगा। पोलो ग्राउण्ड पर होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान लाड़ली बहनों से भी संवाद करेंगे। लगभग 270 करोड़ रूपए के कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया जाएगा। केन्द्रीय विमानन एवं इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हर कार्यक्रम में शामिल रहेंगे।

बाघिन हो गई थी लापता

जानकारी के अनुसार शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में जिन तीन बाघों को मुख्यमंत्री द्वारा बाड़े में छोड़ा जाना प्रस्तावित है, उनमें से एक पन्ना से लाई जाने वाली बाघिन का 24 घंटे पहले तक कोई पता नहीं चल रहा है। बांधवगढ़ और सतपुड़ा की तरह जब पन्ना टाइगर रिजर्व से बाघिन को नेशनल पार्क के लिए रवाना करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो आखिरी वक्त पर बाघिन ही नहीं मिली। बाघिन को किसी बाड़े में नहीं रखा गया था पर उनकी सतत निगरानी की जाती थी। उन्हें उसी दिन पकड़कर ट्रेंकुलाइज कर रवाना करना था।

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