उपन्यास पाठ के बीच में पांच रागों पर आधारित गायन प्रस्तुति

उपन्यास पाठ के बीच में पांच रागों पर आधारित गायन प्रस्तुति
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धु्रपद संस्थान में रामाकांत गुंदेचा की जन्म शताब्दी के अवसर पर चित्र प्रदर्शनी और ध्रुपद गायन

भोपाल।ध्रुपद संस्थान में गुरुवार को स्वर्गीय रामाकांत गुुंदेचा की जन्म दिवस पर चित्र प्रदर्शनी और ध्रुपद गायन का आयोजन किया गया, इस चित्र प्रदर्शनी में फिगरेटिव, एब्स्ट्रेक्ट, बुद्ध और महाभारत के पात्रों के पौराणिक कथाओं पर आधारित चित्र के साथ ही मिक्स मीडिया में एक्रेलिक, आॅयल पेंट से सजी 35 पेंटिंग्स को एग्जिबिट किया, जिसे 27 कलाकारों ने बनाया, इस प्रदर्शनी का उद्घाटन पद्मश्री दुर्गा भाई व्याम ने किया।

राग गावती पर आधारित ध्रुपद गायन

कार्यक्रम की अगली कड़ी में मुकुंद का ध्रुपद गायन आयोजित किया गया, राग गावती पर आधारित इस ध्रुपद गायन में मुकुंद ने आलाप के बाद एक बंदिश 12 मात्रा चौताल में प्रस्तुत की। इसके बाद उन्होंने उसी राग में सूल ताल में बंदिश प्रस्तुत की। इस प्रस्तुति के बाद वायलन और पियानो की जुगलबंदी सुनने को मिली, जिसमें फ्रांस के वायरल ने वायलन और संतोष ने पियानो बजा कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में लेखक अनिरुद्ध उमठ के उपन्यास 'नींद नहीं जाग नहीं' के अंशों का पाठ किया, इस पाठ के बीच बीच में पांच रागों को प्रस्तुत किया, यह पांच राग हैं मारवा, श्री, तोड़ी, अहीर भैरव और सोहनी।

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