रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकने SIT का गठन, निजी अस्पताल और मेडिकल में दबिश

रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकने SIT का गठन, निजी अस्पताल और मेडिकल में दबिश
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रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन को किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं माना जा रहा है। ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। पढ़िए पूरी खबर-

कटनी। हर तरफ कोरोनावायरस संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है। जो लोग इस कोरोना के संक्रमण से ग्रसित हैं उनके लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन को किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं माना जा रहा है। ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी शुरू हो गई है। इनके लिए अनाप-शनाप पैसों की डिमांड करना और नकली सामान उपलब्ध कराना जैसे कई मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश में बढ़ते रेमडेसिविर की कालाबाजारी और नकली इंजेक्शन के मामले सामने आने पर माननीय हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर कटनी में भी जिले के एसपी मयंक अवस्थी ने एसआईटी का गठन कर दिया है।

यह एसआईटी रेमडेसीवीर इंजेक्शन सहित कोरोना से सम्बंधित विभिन्न दवाओं की जांच करेगी। जिसके तहत एसआईटी ने आज शहर के निजी अस्पतालों सहित मेडिकल की दुकानों में दबिश दी। एसआईटी की टीम पर एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा सहित चार थानों के टीआई एवं तहसीलदार और ड्रग इंस्पेक्टर शामिल हैं। इन लोगों ने आज कटनी के निजी अस्पताल धर्मलोक और एमजीएम अस्पताल सहित श्री राम संस मेडिकल दुकान पर दबिश दी, जिसमें दुकान संचालक एव अस्पताल प्रबंधक को कोरोना संक्रमण से सम्बंधित दुकान और अस्पताल में संधारित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया और एसआईटी की टीम ने सभी हॉस्पिटलों को नोटिस भी जारी किया कि वह कोरोना मैं रेमदेसीविर इंजेक्शन खरीदने और बेचने का पक्का बिल उपलब्ध कराएं जिससे रेमडेसिविर की हकीकत सामने आ सके।

वहीं एसआईटी टीम में शामिल ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं क्योंकि मेडिकल से संबंधित दस्तावेज सहित सभी रिकॉर्ड चेक करने का अधिकार ड्रग विभाग के अंर्तगत ड्रग इंस्पेक्टर को होता है लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर के बयान से ऐसा लग रहा है कि वह भी दुकानदारों के कारनामों पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं। क्योंकि उन्होंने मीडिया से बात करते हुई कहा कि अभी तक उन्होंने किसी भी मेडिकल को किसी भी प्रकार का दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए नोटिस या पत्र जारी नहीं किए।

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