फादर्स डे पर विशेष, तीन पितों की कहानी,जिनके कंधों पर बेटों ने छुआ आसमान

फादर्स डे पर विशेष,  तीन पितों की कहानी,जिनके कंधों पर बेटों ने छुआ आसमान
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पापा आप मेरे हीरो हो, पापा आप सबसे बेस्ट हो, आई लव यू पापा... क्या आपने कभी अपने पिता से यह पंक्तियां कही हैं? अगर नहीं कही हैं तो एक बार बोलकर देखिए। अक्सर बच्चे पापा से दिल की बात करने में हिचकिचाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं।

भोपाल। पापा आप मेरे हीरो हो, पापा आप सबसे बेस्ट हो, आई लव यू पापा... क्या आपने कभी अपने पिता से यह पंक्तियां कही हैं? अगर नहीं कही हैं तो एक बार बोलकर देखिए। अक्सर बच्चे पापा से दिल की बात करने में हिचकिचाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। पिता की गंभीरता, उनकी सख्ती, कुछ अच्छा करने के लिए अक्सर प्रेरित करना और गलत करने पर डांट लगाना। हर बच्चे को समझना चाहिए कि पिता को उनकी फिक्र होती है। उनके बर्ताव की वजह आपको एक सुरक्षित और आरामदायक भविष्य देना होता है। हरिभूिम फादर्स डे पर लाया है, तीन पिताओं की कहानी,जिनके कंधों पर बेटों ने आसमान को छुआ।

कहानी - 1, डीआईजी डीआर तेनीवार के पिता बीएल तेनीवार

मंदसौर में किसान परिवार में पैदा हुआ। पढ़ने-लिखने की चाहत थी कि तो पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। पुलिस विभाग में भर्ती के लिए तैयारी करनी थी। कुछ ही एकड़ की जमीन थी। पिता ने मेहनत को देखते हुए जमीन गिरवी कर फीस भरने के लिए पैसे की व्यवस्था कर दी। पिता हमेशा सभी भाइयों से कहते थे कि मेहनत से ही सफलता मिल सकती है। यह कहानी है डीआईजी डीआर तेनीवार की। पिता के संघर्ष को याद करते हुए तेनीवार ने बताया कि 84 साल के पिता बीएल तेनीवार आज भी खेती करते हैं। उनके साथ सबसे बड़े भाई मदद करते हैं। पिता ने उनके अलावा सभी भाइयों को बेहतर शिक्षा दी है। जिसका परिणाम है कि एक भाई और पुलिस विभाग में पदस्थ है। दो भाई पेशे से वकालत करते हैं। तेनीवार ने बताया कि परिवार में शिक्षा के लिए पिता हमेशा चुनौतियों से जूझते रहे। कई बार जमीन को गिरवी किया। रकम चुकाने के लिए रात-रात तक खेतों में जाकर फसल को पानी देते थे। क्योंकि, फसल बेहतर होती तो कर्ज की रकम आसानी से चुकाई जा सकेगी। इस बीच पांचों भाइयों में किसी को भी पढ़ाई छोड़कर खेती करने के लिए कभी नहीं कहा। तेनीवार ने बताया कि पिता की बदौलत ही आईपीएस अधिकारी बना। उन्होंने किसी भी समस्या को नहीं बताया। आज भी यही कहते हैं कि संघर्ष से ही सफलता मिलती है।

कहानी - 2, आईआरटीएस विजय प्रकाश के पिता संगम वीर सिंह

बचपन में ही परिवार का बंटवारा हो गया था। पिता के सामने ड्यूटी और बच्चों की पढ़ाई की चुनौती थी। पुलिस की नौकरी के साथ बच्चों की पढ़ाई बेहतर हो। इसके लिए हमेशा तैयार रहे। यहां तक कि सिविल सर्विसेस की तैयारी के दौरान उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। इस बीच फाइनेंशियल प्रॉब्लम भी हुई, लेकिन कभी जिक्र नहीं किया। जब साल 2010 में यूपीएससी की परीक्षा का रिजल्ट आया तो उन्होंने कहा कि नौकरी में सही काम ही करना, भले व्यक्तिगत तौर पर नुकसान उठाना पड़े। ज्वॉइनिंग के दौरान पास बुलाकर कहा कि लोग काम और यश को ही याद रखेंगे। कोशिश यही करना कि किसी भी व्यक्ति को निराशा मत करना। पिता की बात आज भी सरकारी कुर्सी में बैठने के दौरान याद रहती है। यह कहानी है कि साल 2011 बैच के आईआरटीएस अफसर विजय प्रकाश की। विजय प्रकाश ने लंबा समय पश्चिम-मध्य रेलवे जोन में विभिन्न पदों पर काम किया। विजय प्रकाश बताते हैं कि पिता संगम वीर सिंह का संघर्ष का नतीजा है कि वे सिविल सर्वेंट बन पाए हैं। तैयारी के दौरान प्रेरित करते थे कि लक्ष्य तय हो तो सफलता मिलती है। पिता की बातों को सरकारी नौकरी करते हुए याद रखा। पिता आजकल बीमार भी रहते हैं। उनकी उम्र 75 साल हो चुकी है। इसके बाद भी हमेशा संघर्ष करने की सीख देते रहते हैं। वो याद कराते हैं कि किन परिस्थितियों से आज सरकारी अफसर बनाया है। इसलिए वीआईपी कल्चर को जीवन में कभी न हावी होने दें।

कहानी - 3, डीएसपी संतोष पटेल के पिता जानकी प्रसाद पटेल

मेरी मां आज भी अपना खर्च स्वयं उठाती हैं। एक भैंस पाले हैं जिसका घी हमें भिजवाती हैं और दूध बेचती हैं। 3 बकरी रखे हुए हैं और कुछ खेती बाड़ी से कमा लेती हैं। पिता जानकी प्रसाद पटेल ने कारीगरी छोड़ दी। दोनों मिलकर काम करते रहते हैं। साथ में रहने का आग्रह करता हूं तो यह कहकर टाल देती हैं कि जब तक हाथ-पैर चल रहे हैं तो गांव में 2 रुपए कमा लेते हैं। यहीं रहेंगे और तुम लोगों के लिए कुछ जोड़ेंगे। डीएसपी संतोष पटेल बताते हैं कि वह 15 फरवरी 2018 को डीएसपी बने थे और बैतूल में पहली पोस्टिंग हुई थी। उसके बाद पहली बार सतना ड्यूटी में जाते वक्त वर्दी पहनकर गांव के पास से निकला तो मां खेत पर घास छील रही थी। वहीं मिलने पहुंच गया। पटेल ने बताया कि मां के नाम पर छह बीघा मेरे पास जमीन है। उन्होंने मां ने पूछा कि जमीन में ज्यादा फायदा है कि पढ़ाई में। पिता कहते हैं कि पढ़ाई में ज्यादा फायदा है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई-लिखाई वाला व्यक्ति सभी को पछाड़ देता है। नौकरी करने वाला राजा होता है। सरकारी नौकरी के आगे सब फेल हैं। नेता-विधायक तो कुछ दिन के लिए बनते हैं। मां कहती हैं कि नेता-विधायक बनने के लिए हाथ और पांव जोड़ो। बन जाने के बाद 50 लोग गाली देते हैं। सबसे राजा चीज नौकरी है। मेहनत करने पर सफलता मिलती है।

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