सुप्रीम कोर्ट का फैसला-मप्र में ओबीसी आरक्षण के साथ कराए जाएं पंचायत व निकाय चुनाव

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव को ओबीसी आरक्षण के साथ कराने का फैसला दिया है। 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने होंगे। इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने ट्रिपल टेस्ट में कोई प्रामाणिक रिपोर्ट पेश नहीं की है। साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की जो रिपोर्ट पेश की है, उसका परीक्षण किया जाना आवश्यक है। अब शीर्ष कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो। साथ ही कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा न हो। अब सवाल ये है कि मप्र सरकार पहले 27 फीसदी, फिर बाद में 35 फीसदी आरक्षण देना चाहती थी। पर जब 50 फीसदी की लिमिट बांध दी गई है तो फिर ओबीसी को कितना आरक्षण मिलेगा। पीसीसी चीफ कमलनाथ का कहना है कि पहले भी ओबीसी को 14 फीसदी ही मिल रहा था और अब भी 14 पीसदी ही मिलेगा। इसमें नई बात क्या है? सरकार 50 फीसदी से ऊपर नहीं जा सकती है। अभी एससी व एसटी को 36 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। दरअसल, मप्र सरकार ने कोर्ट के इंकार के बाद एक संशोधन याचिका लगाई थी। इसमें आदेश के संशोधन की मांग की थी। पर अब जो फैसला आया है, वह बताता है कि ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है पर कितना ये स्पष्ट नहीं है। बस, कोर्ट ने लिमिट 50 फीसदी बांध दी है। मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि यह फैसला ऐतिहासिक है। सीएम शिवराज सिंह चौहान की मंशानुरुप अब ओबीसी को हम सम्मानजनक आरक्षण दे सकेंगे। वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा कि सरकार का काम आधा- अधूरा है। ये साफ हो गया है। अब वे कैसे 27 फीसदी आरक्षण देंगी, यह स्पष्ट करे।
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