निलंबित अध्यापक ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा- 'मेरे अंग बेचकर ऑक्सीजन प्लांट और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाये'

निलंबित अध्यापक ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा- मेरे अंग बेचकर ऑक्सीजन प्लांट और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाये
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निलंबित अध्यापक ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि- मेरे शरीर के सभी अंग अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेचे, जिससे लगभग 5000 करोड़ रुपए मिलेंगे, इससे देश में ऑक्सीजन प्लांट वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाए। पढ़िए पूरी खबर-

कटनी। जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है, वहीं ऑक्सीजन वेंटिलेटर की कमी के कारण लोग परेशान है। लोगों की परेशानी को देखते हुए एक निलंबित अध्यापक ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। उन्होंने उस पत्र में लिखा है कि मेरा जीवन व्यर्थ है अतः आप मेरे शरीर के सभी अंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचकर देश में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था कर सकें। निलंबित अध्यापक का कहना है कि उनक शरीर की कीमत लगभग 5000 करोड़ रुपए लगाई जा सकती है देश में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने आगे लिखा है जिस प्रकार से देश में कुंभ और चुनाव हो रहे हैं। इससे मैं अपने जीवन को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा हूं।

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बड़वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बसाड़ी जिला कटनी के अध्यापक मनोज डोंगरे जो कि निलंबित चल रहे है। उन्होंने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि- मैं पिछले 2 वर्षों से निलंबित हूं मुझे शासन के द्वारा 12 जून 2019 को निलंबित किया गया था। मुझे कानूनी तौर पर निलंबित अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाना चाहिए था, लेकिन अनेकों बार अनुरोध करने के बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखने के बाद भी मुझे 2 वर्ष से कोई भी भत्ता जीवन निर्वाह भत्ता नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते मैंने नवंबर 2020 में महामहिम राष्ट्रपति महोदय को भी निलंबन अवधि के द्वारा गुजारा भत्ता दिलाने की पत्र लिखा था, जिस पर कुछ कार्यवाही हुई जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी बीवी दुबे के द्वारा स्टेटमेंट दिया गया था कि अध्यापक मनोज डोंगरे के निलंबन अवधि का वेतन एक-दो दिन में उनके खातों में पहुंच जाएगा। हमने ट्रेजरी में बिल जमा कर दिया है लेकिन अध्यापक को आज दिनांक तक कोई भी निलंबन अवधि का पैसा प्राप्त नहीं हुआ है।

इस वजह से उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरे देश में कोरोना महामारी फैली हुई है, उसे देखते हुए मैंने निर्णय लिया है कि मेरे जीवन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। मैं कर्ज ले-लेकर परेशान हो चुका हूं। इसलिए मैंने पुनः राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखकर यह मांग की है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपके द्वारा शासकीय विज्ञापन देकर मेरे समस्त अंगों को अधिक से अधिक दामों पर बेचकर कम से कम 5000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। उस राशि का उपयोग कोरोना काल में महामारी से पीड़ित लोगों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर स्थापित करने देश में और अन्य चिकित्सा सुविधाएं वेंटीलेटर और अन्य चिकित्सक सुविधाओं के लिए मुहैया कराने के लिए पैसे का उपयोग किया जाए साथ ही महामहिम को पत्र लिखकर यह भी कहा है कि देश में कुंभ के बड़े स्तर पर आयोजन पर भीड़ जुटना और उपचुनाव में बड़े स्तर पर भीड़ जुटाना। इसमें महामारी चरम स्थिति पर है, इसलिए ऐसी स्थिति में मैं अपने जीवन को अपने देश में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा हूं। वहीं लिखा है कि यदि मेरे अंग बेचने में असमर्थ है तो मुझे मेरे जीवन की सुरक्षा के लिये जब तक देश में कोरोना वायरस का प्रकोप कम हो तब तक मुझे सिंगापुर अथवा न्यूजीलैंड जैसे देश में शासकीय खर्चे पर भेजने का कष्ट करें।

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