भोपाल की मस्जिदों में जिहादी साहित्य बांटने पहुंचे आतंकी, वहां से भगा दिया था मौलवियों ने, पढ़िए पूरी खबर

भोपाल। बांग्लादेश से भारत में हाफिज बनने के बहाने आए जमात-ए-मुजाहिदीन के आतंकी यहां जिहाद की जड़ें मजबूत करना चाहते थे, लेकिन इससे पहले ही ये मध्यप्रदेश पुलिस की एटीएस के हत्थे चढ़ गए। ये यहां जिहादी साहित्य बांट रहे थे। भारत में आ जमे इन आतंकियों ने देश में कई जगह जिहादी साहित्य बांटा। जिसके लिए इन्हें पाकिस्तान के हैंडलर्स से निर्देश मिलते थे। सूत्र बताते हैं कि इन आतंकियों ने भोपाल में ठिकाना बनाया, लेकिन यहां मस्जिदों में जब ये पहुंचे और वहां जिहादी साहित्य बांटने की कोशिश की तो इन्हें मौलवियों ने भगा दिया।
हाफिज बनने के बहाने घुसे भारत में
एटीएस इनने पूछताछ में जुटी है। हरिभूमि से अनॉफीशियल चर्चा में एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्ट किया है कि ये लोग यहां अगर हाफिज बनने आए होते तो इस तरह की जिहादी गतिविधियों में लिप्त क्यों रहते। इनके मंसूबे तो कुछ और ही थे। पाकिस्तान की भारत विरोधी ताकतों से इनके संपर्क के बारे में सवाल किए जाने पर अधिकारी ने कहा कि इसकी जांच चल रही है। उधर रविवार को प्रदेश के गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा कह ही चुके हैं कि बांग्लादेश के भारत में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-मुजाहिद्दीन के ये चारों सदस्य यहां आतंकी गतिविधियों की जमीन तैयार कर रहे थे, स्लीपर सेल बना रहे थे। सूत्रों की पुष्टि है कि राजधानी भोपाल से शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि में पकड़े गए बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिदीन के चार में से तीन सदस्य बांग्लादेश से भारत में हाफिज बनने के बहाने घुसे। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए ये तीनों उत्तर प्रदेश के देवबंद में तालीम लेना चाहते थे, लेकिन देवबंद में दाखिला ना मिलने के चलते ये वहां नहीं जम पाए। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि फिर ये पाकिस्तान की भारत विरोधी ताकतों के संपर्क में आ गए। इसके बाद ये भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपने ठिकाने बनाने लगे।
देवबंद गए थे ये आतंकी :
सूत्र बताते हैं कि बांग्लादेशी आतंकी अगरतला में कई महीने रहने के बाद ये देवबंद जा पहुंचे। देवबंद में काफी कोशिशों के बाद भी इन्हें दाखिला नहीं मिला। वहां इनकी मुलाकात फजहर जैनुल से हुई। देवबंद से फजहर अली उर्फ मेहमूद मोहम्मद अकील उर्फ अहमद और जहरूद्दीन उर्फ इब्राहीम उर्फ मिलोन पठान आसाम लौट आए। यहां फजहर अगरतला के एक मदरसे में पढ़ाने लगा। इस दौरान उसने उसी मदरसे की एक लड़की से शादी भी कर ली। फिर सहारनपुर के पुराने साथी फजहर जैनुल के बुलाने पर फजहर अली और मोहम्मद अकील अगरतला से ट्रेन में बैठकर सीधे भोपाल आ गए। इनका चौथा साथी जहूरुद्दीन अब से तीन महीने पहले ही भोपाल पहुंचा था।
पाकिस्तान की भारत विरोधी ताकतों से संपर्क
सूत्रों की पुष्टि है कि फजहर जैनुल ने इनका संपर्क पाकिस्तान में बैठीं भारत विरोधी ताकतों के एक हेंडलर से कराया। इस हेंडलर से इन चारों को ईमेल पर दिशा निर्देश मिलते थे। इन्हें मेल पर ही जिहादी साहित्य भेजा जाता था। जिसे इनमें से एक मोहम्मद अकील ट्रांसलेट कर उसे प्रिंट करता था। बाकी तीन इन्हें बांटने का काम करते थे।
भोपाल के मौलवियों ने भगाया था इन्हें
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी की पूछताछ में चारों आरोपियों ने बताया कि भोपाल की कई मस्जिदों में जब वे जिहादी साहित्य बांटने गए तो वहां के मौलवियों ने इन्हें भगा दिया। इन चारों आतंकियों की गिरफ्तारी के गोली से दरवाजा तोड़ने की जो बात कही जा रही है, वह दरअसल कंट्रोल्ड विस्फोटक था। जिसके जरिए दरवाजा तोड़ा गया।
उत्तरप्रदेश एटीएस ने पकड़ा एक व्यक्ति
मध्यप्रदेश एटीएस के एक अधिकारी ने हरिभूमि से चर्चा में पुष्टि की कि उत्तरप्रदेश एटीएस ने भी एक व्यक्ति पकड़ा है। इसे सोमवार की रात गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए जिहादी का नाम इनामुल हक उर्फ इनाम इम्तियाज बताया जाता है। उप्र एटीएस ने इसे यू-ट्यूब पर जिहादी विडियो अपलोड करने के जुर्म में गिऱफ्तार किया है।
तोड़-मरोड़कर समझाते हैं कुरान की आयतें
आतंकी सोच वाले बांग्लादेशी युवक, जो इस समय मप्र एटीएस की रिमांड पर चल रहे हैं, इस तरह के लोग जिहाद के लिए भारत में युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाते हैं। ऐसा जानकार ही बता रहे हैं कि ये लोग कुरान की आयतें तोड़-मरोड़कर समझाते हैं, अधूरा सच बताकर युवाओं को गुमराह करते हैं। ये कुरान की आयतों और शरीयत में से अपने मतलब की चीज निकालकर उसे तोड़-मरोड़कर नया साहित्य बना लेते हैं। फिर यहां भारतीय युवाओं को यही आधा अधूरा सच बताकर भटकाने का प्रयास किया जाता है। इसी तरह का करने वाला जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेशी संगठन भारत में युवाओं को आतंकवाद की ओर झौंकना चाहता है।
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