दो बहनों के कराये हाथ पीले , महामारी में नहीं सोने दिया किसी को भूखा

भोपाल। कहते हैं यदि दिल में सेवाभाव के साथ कोई भी काम किया जाए तो उसके सफल होने की संभावना तो बढ़ ही जाती है साथ ही हर कोशिश के साथ आपका काम भी और निखरकर सामने आता है। आ. भा खंगार क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकार सिंह ठाकुर उर्फ़ विक्की भईया, भी उन्ही कुछ नामों में शामिल हैं, जिनका निःस्वार्थ सेवाभाव समाज में एक नई मिसाल पेश कर रहा है। अपनी बेबाक शैली और जबरदस्त पर्सनालिटी के लिए युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय ओंकार को कमजोर व असहाय वर्ग की एक सशक्त ताकत के रूप में देखा जाता है और इसके एक नहीं, कई कारण गिनाये जा सकते हैं। ओंकार का मानना है कि समाज में गरीब और अनाथ लोगों की सेवा करने से बड़ी और कोई सेवा नहीं होती है। बता दें कि हाल ही में उन्होंने कामीरो, शोषित, वंचित वर्ग के उत्थान को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी अपना दल (एस) की सदस्यता ली है।
दो बहनों के कराये हाथ पीले
38 वर्षीय ओंकार सिंह ठाकुर की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि वह व्यक्ति विशेष में फर्क महसूस नहीं कराते, और सभी को समान रूप से साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं. उन्होंने क्षेत्र की दो जरूरतमंद बालिकाओं की शादी की सारी जिम्मेदारी उठाई, जिनमें से एक बालिका अनाथ थी और उनके जीवन को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. समाज सेवा में तत्पर रहने वाले ओंकार कहते है कि, "ईश्वर से हमें जो शक्ति सक्षमता मिली है, उसे समाज के कमजोर असहाय वर्ग के साथ साझा कर के, मैं अपना फर्ज निभा रहा हूं." इतना ही नहीं सर्व जातीय सामूहिक विवाह में भी उनका विशेष योगदान रहता है।
महामारी में नहीं सोने दिया किसी को भूखा
विश्व हिन्दू परिषद् के लिए गौरक्षा के प्रांतीय सह-संयोजक के रूप में काम करते हुए, ओंकार सिंह ठाकुर ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान किसी को भूखा नहीं सोने देने का संकल्प लिया और पूरे लॉक डाउन के दौरान हजारों की संख्या में फ़ूड पैकेट्स व कच्चा अनाज तेल,नमक आदि वितरित कराये. उन्होंने ऑनलाइन ऑफलाइन कैंपेन चलाकर, पैदल यात्रा करने पर मजबूर प्रवासी मजदूरों तथा हर जरूरतमंद तक मुफ्त भोजन पहुंचाना सुनिश्चित किया. एक ऐसा दौर जब घर परिवार वाले भी एक दूसरे से दूरी बनाने लगे थे, उस समय विक्की भईया ने सैकड़ों बेसहारा लोगों का सहारा बनने का काम किया. इस दौरान उन्होंने राम रसोई का भी शुभारंभ किया और रोजाना 500 फ़ूड पैकेट्स वितरित किए जिनमें ट्रेन बस से जाते यात्रियों को पानी की बॉटल आदि सामान पहुंचाना भी शामिल रहा।
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