भोपाल के जेपी अस्पताल में खत्म होगी लाइन में लगने की झंझट, जानिए लागू हो रही है क्या व्यवस्था

भोपाल के जेपी अस्पताल में खत्म होगी लाइन में लगने की झंझट, जानिए लागू हो रही है क्या व्यवस्था
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मध्य प्रदेश के लिए मॉडल कहे जाने वाले राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल में अगले महीने से मरीजों को लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। यहां ओपीडी और अन्य सुविधाओं के लिए टोकन सिस्टम शुरू होने जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए टेंडर कर दिए हैं। ये टेंडर इसी महीने खुल जाएंगे और मार्च से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। जेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि ओपीडी, जांच, एक्स-रे, सोनोग्राफी कराने वाले मरीजों के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया जाएगा।

भोपाल। मध्य प्रदेश के लिए मॉडल कहे जाने वाले राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल में अगले महीने से मरीजों को लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। यहां ओपीडी और अन्य सुविधाओं के लिए टोकन सिस्टम शुरू होने जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए टेंडर कर दिए हैं। ये टेंडर इसी महीने खुल जाएंगे और मार्च से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। जेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि ओपीडी, जांच, एक्स-रे, सोनोग्राफी कराने वाले मरीजों के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया जाएगा। हर जगह स्क्रीन लगाई जाएंगी।

पंजीयन के साथ मिल जाएगा टोकन नंबर

पंजीयन कराते समय ही पर्चे पर टोकन नंबर लिख दिया जाएगा। यह नंबर स्क्रीन पर डिस्प्ले होगा। मरीज अपनी बारी का इसी नंबर के आधार पर इंतजार कर सकेंगे। टोकन लेने के बाद मरीज आराम से बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार कर सकते हैं। इसके लिए अस्पताल में बैठने की व्यवस्था भी की जा रही है। इससे उन्हें कतार में लगने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। जेपी अस्पताल में अकेले ओपीडी में 2800 मरीज रोज आते हैं। 150 से 200 मरीजों की सोनोग्राफी की जाती है और इतने ही एक्सरे होते हैं। जांच कराने वाले मरीजों की संख्या भी 300 की आस-पास होती है। सब जगह टोकन सिस्टम शुरू होने से मरीजों को सुविधा हो जाएगी।

पहले भी शुरू हुई थी व्यवस्था

हालांकि जेपी अस्पताल में इसके पहले भी कई बार टोकन सिस्टम शुरू करने की तैयारी की गई, लेकिन अमल नहीं हो पाया। भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक उमाशंकर गुप्ता जेपी अस्पताल में हर सोमवार को चौपाल लगाते थे। उस दौरान उन्होंने भी टोकन सिस्टम शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद ओपीडी में हाथ से लिखे हुए टोकन मरीजों को दिए जा रहे थे, लेकिन बाद में यह व्यवस्था भी बंद कर दी गई है।

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