ब्यूरोक्रेसी पर बयान का मामला: बैकफुट पर उमा भारती, चप्पल वाले बयान पर दी सफाई, अब नेताओं को कहा निकम्मा

ब्यूरोक्रेसी पर बयान का मामला: बैकफुट पर उमा भारती, चप्पल वाले बयान पर दी सफाई, अब नेताओं को कहा निकम्मा
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उमा ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि मुझे रंज है कि मैंने असंयत भाषा का प्रयोग किया जबकि मेरे मेरे भाव अच्छे थे। मैंने आज से यह सबक सीखा कि सीमित लोगों के बीच अनौपचारिक बातचीत में भी संयत भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए। उमा भारती ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी संगठन को टैग किया है। पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व चीफ मिनिस्टर उमाश्री भारती ने ब्यूरोक्रेसी के चप्पल उठाने वाले अपने बयान पर बैकफुट पर आ गई हैं। उमा ने इस बयान पर हंगामा होते ही लगातार एक के बाद एक ट्वीट करके सफाई दी। सफाई के साथ ही उमा भारती ने अफसोस भी जताया है साथ ही अनौपचारिक बातचीत में भी संयमित भाषा के उपयोग पर खुद को नसीहत दे डाली है। हालांकि इस सफाई में उमा भारती ने अब नौकरशाही पर असहयोग का आरोप लगाने वाले नेताओं को निक्कमा करार दे दिया है।

भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती ने नौकरशाही को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने राजनीति और नौकरशाही दोनों में भूचाल ला दिया। उमा भारती ने कहा कि नौकरशाहों की औकात कुछ नहीं है, वह हमारी चप्पलें उठाती है। उमा भारती ने यह बात भले ही किसी भी संदर्भ में कही हो, लेकिन उनका वीडियो वायरल होते ही बवाल मच गया। इस बयान के 24 घंटे पहले ही उमा भारती शराबबंदी के लिए लट्ठ लेकर मैदान में उतरने का ऐलान करके भाजपा को पहले ही सांसत में डाल चुकी थी। उनके नए बयान ने मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और संगठन दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। भाजपा ने उमा भारती के बयान से किनारा कर लिया, लेकिन कांग्रेस को मौका मिल गया। कांग्रेस ने भाजपा संगठन और सरकार दोनों के सामने सवाल खड़ा कर दिया कि वह उमा के बयान के साथ हैं या नहीं। उमा भारती के बयान से नौकरशाही भी विरोध में खड़ी हो गई। पदों पर आसीन अफसरों ने भले ही कुछ नहीं कहा लेकिन रिटायर्ड आईएएस अफसर उसके खिलाफ खड़े हो गए। उन्होंने इसे पूरी नौकरशाही का अपमान बताया। बवाल मचते ही उमा भारती बैकफुट पर आ गई। अपनी तुनक मिजाजी के लिए मशहूर उमा भारती पहली बार किसी बयान पर इतनी जल्दी बैकफुट पर आईं हैं। उन्होंने एक के बाद एक लगातार ट्वीट करके इस मामले पर अफसोस जताया। उमा भारती ने अपने ट्वीट में कहा कि परसों भोपाल में मेरे निवास पर पिछड़े वर्गों का एक प्रतिनिधिमंडल मुझे मिला, यह मुलाकात औपचारिक नहीं थी, उस पूरी बातचीत का वीडियो मीडिया में वायरल हुआ है। उन्होंने कहा कि मीडिया की आभारी हूं कि उन्होंने मेरा पूरा ही वीडियो दिखा दिया क्योंकि मैं तो ब्यूरोक्रेसी के बचाव में ही बोल रही थी। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हम नेताओं में से कुछ सत्ता में बैठे निकम्मे नेता अपने निकम्मेपन से बचने के लिए ब्यूरोक्रेसी की आड़ लेते हैं कि हम तो बहुत अच्छे हैं लेकिन ब्यूरोक्रेसी हमसे अच्छे काम नहीं होने देती। उमा का कहना है कि जबकि सच्चाई यह है कि ईमानदार ब्यूरोक्रेसी सत्ता में बैठे हुए मजबूत इरादे वाले नेता का साथ देती है। यह मेरा अनुभव है। उमा ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि मुझे रंज है कि मैंने असंयत भाषा का प्रयोग किया जबकि मेरे मेरे भाव अच्छे थे। मैंने आज से यह सबक सीखा कि सीमित लोगों के बीच अनौपचारिक बातचीत में भी संयत भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए। उमा भारती ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी संगठन को टैग किया है। उमा की इस सफाई के बाद मामले के ठंडा होने के उम्मीद की जा रही है, लेकिन उन्होंने नौकरशाही पर काम में अडंगा लगाने का आरोप मढ़ने वाले नेताओं को निक्कमा बताकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया।

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