कोरोना मरीजों की संख्या घटी, अन्य बीमारियों के मरीज पहुंचने लगे अस्पताल

कोरोना मरीजों की संख्या घटी, अन्य बीमारियों के मरीज पहुंचने लगे अस्पताल
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प्रदेश में ढलान पर कोरोना, एक सप्ताह में 11 हजार से घटकर तीन हजार पर पहुंची मरीजों की संख्या

भोपाल। कोरोना मरीजों की संख्या प्रदेशभर में तेजी से घट रही है। पिछले एक सप्ताह पहले तक जहां 11 हजार के करीब मामले सामने आ रहे थे। अब यह केस घटकर तीन हजार के आस-पास पहुंच गई है। इसके साथ ही अब राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के सभी निजी व सरकारी अस्पताल में अन्य मरीज इलाज के लिए पहुंचने लगे है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कोरोना संक्रमण के डर के चलते अधिकांश मरीज अस्पतालों में आने से डर रहे थे। कई मरीज मेडिकल या आस-पास के क्लीनिक पर इलाज करा दवा ले रहे थे।

भोपाल में अब स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर लौटने लगी हैं। जिले में अब अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों की संख्या मात्र 180 के आस-पास रह गई है। तो वहीं निजी अस्पताल में मात्र दो से तीन फीसदी मरीज ही भर्ती है। प्रदेशभर के अस्पताल में संक्रमित और संदिग्ध अभी 785 मरीज भर्ती हैं। इसमें से 185 आॅक्सीजन पर हैं। इसके चलते अब अन्य बीमारियों के मरीजों को भर्ती कर सकेंगे। दूसरी लहर से सबक ले चुके शासन-प्रशासन ने इस बार बेड, आक्सीजन, दवाओं का स्टाक ज्यादा मात्रा में कर रखा था। दूसरी लहर के मुकाबले तीसरी लहर कमजोर रही। इस बार महज 20 फीसदी ही मरीज ही अस्पताल पहुंचे, बाकी ने घर पर ही आसानी से कोरोना को हरा दिया। इन्हें भी सरकारी दवाओं की जरूरत कम पड़ी।

सात दिन में 11 से घटकर मरीजों की संख्या पहुंची तीन हजार के पास

राजधानी सहित प्रदेशभर में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से घट रही है। 7 से 10 दिन पहले तक जहां प्रदेशभर में करीब 11 हजार मरीज सामने आ रहे थे। तो वहीं अब यह संख्या घटकर तीन हजार के आस-पास पहुंच गई है। सोमवार को प्रदेशभर में 65848 टेस्ट किए गए। इसमें 3083 लोग संक्रमित मिले।

दवाओं का स्टाक 20 फीसद अधिक रखा था

दूसरी लहर में दवाओं को लेकर जिस तरह से मारामारी मची थी। उसको ध्यान में रखते हुए ड्रग विभाग द्वारा सरकारी अस्पताल से लेकर थोक विक्रेता और खेरीज दुकानदारों को 20 से 25 फीसद दवाओं का स्टाक अतिरिक्त रखने के निर्देश दिए गए थे, पर इस बार कोविड मरीज को सरकारी किट में पैरासीटामोल, मल्टीविटामिन, विटामिन सी और सिट्राजिन दवाएं दी गई, जबकि दूसरी लहर में इसके अतिरिक्त जिंक सल्फेट, एंजिथ्रोमाइसिन और रेनीटिडिन भी शामिल थीं।

इनका कहना है

पहली व दूसरी लहर की गंभीरता के चलते इस बार सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड और आक्सीजन की उपलब्धता सुनश्चित की गई थी। तीसरी लहर में वही मरीज भर्ती हुए, जिन्हें पहले से किसी न किसी बीमारी ने घेर रखा था। जिसका इलाज लेने अस्पताल पहुंचे और जांच में संक्रमित पाए गए। इस बार करीब 20 फीसदी ही मरीज भर्ती हुए, बाकी ने घर पर ही कोरोना को हरा दिया। हालाकि स्वास्थ्य विभाग की टीम होम आइसोलेशन वाले मरीजों पर पूरी नजर रखी थी। लगातार उनका अपडेट लिया जा रहा था।

डॉक्टर प्रभाकर तिवारी,सीएमएचओ भोपाल

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