अभिनेता और बैक स्टेज में प्रापर्टी बनाने वाले कलाकार मानव की कहानी

भोपाल।नाटक में कोई भी किरदार छोटा या बड़ा नहीं होता है। हर नाटक में हर व्यक्ति का बड़ा महत्व है। चाहे उसकी भूमिका छोटी हो या बड़ी। फिर वह चाहे मंच पर कोई अभिनेता हो या बैक स्टेज पर काम करने वाला। नाटक में सब बराबर है। ऐसा ही कुछ संदेश देता नाटक नेपथ्य में शकुंतला का मंचन गुरूवार शाम शैडो बाक्स थिएटर में किया यगा। संस्था के बीस वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 8 दिवसीय शैडो बाक्स थियेटर फेस्टिवल में दूसरे दिन मनोज नायर द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक का मंचन हुआ। इससे पहले रंगकर्म को लेकर सार्थक चर्चा भी हुई। शैडो बाक्स के कलाकारों द्वारा पूर्व रंग में रंगसंगीत का आयोजन भी किया गया।
नाटक की कहानी
नेपथ्य में शकुंतला मूलत: एक अभिनेता और बैक स्टेज में प्रापर्टी बनाने वाले कलाकार मानव की कहानी है। मानव नाटक में छोटे-मोटे किरदार निभाता है साथ ही वह नाटक के लिए बहुत सुंदर क्राफ्ट बनाने का कार्य भी करता है। मानव नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में सारंग देव की बहुत छोटी भूमिका निभाता है। साथ वह इस नाटक में शेर, हिरन, भौंरा और मछली के मुखौटे और अन्य सामग्री भी बनाता है। नाटक की रिहर्सल के दौरान कुछ ऐसी बात हो जाती है कि मानव और नाटक के निर्देशक में कुछ खटपट हो जाती है। जिससे मानव हीन भावना का शिकार हो जाता है। वह अपने कार्य को नाटक में महत्वहीन समझने लगता है। वह थक कर लेट जाता है। उसे नींद लग जाती है।
नाटक में अपने-अपने महत्व के बारे में बताते हैं शेर, भौंरा
नींद में वह स्वप्न देखता है कि उसके बनाए हिरन, शेर, भौंरा और मछली उसे नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में अपने-अपने महत्व के बारे में बताते है कि अगर वह कहानी में नहीं होते तो कहानी आगे कैसे बढ़ती। वह मानव को उसके भी कार्य के महत्व को बताते समझाते हैं। जब मानव की नींद टूटती है तो वह समझ चुका होता है कि हर व्यक्ति और उसके कार्य का अपना महत्व है।
मंच परे
लेखक और निर्देशक-मनोज नायर
प्रकाश परिकल्पना- हर्ष वर्धन सिंह राजपूत
वस्त्र विन्यास- स्मिता नायर और रश्मि आचार्य
प्रापर्टी डिजाइन- हर्ष वर्धन कावडे
मंच पर-
अलय खान- मानव
स्मिता नायर- हिरन
अभि श्रीवास्तव- शेर
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