सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर राज्य निवार्चन आयोग के पाले में डाल दिया पंचायत चुनावों का मामला

भोपाल। पंचायत चुनावों में आरक्षण को लेकर दायर की गईं याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गेंद एक बार फिर राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में डाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंचायत चुनाव संविधान के अनुसार होना चाहिए। यदि ये संवैधानिक तरीके से हो रहे हैं तो इन्हें जारी रखा जाए लेकिन यदि संविधान का उल्लंघन हो रहा है तो पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए जाएं। यह निर्णय लेने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय शुक्रवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भीा कहा
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण मामले में आग से मत खेले। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से ही हों तो ही कराइए। मध्य प्रदेश में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया। यह संविधान की धारा 243 (सी) और (डी) का साफ उल्लंघन है। याचिकाकर्ता डीपी धाकड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव पर स्टे लगा दिया है इस मामले पर 27 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को निर्णय का अधिकार दिया है।
कांग्रेस ने बताई अपनी जीत
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इससे बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को जीत मिली और उन ताकतों को हार का सामना करना पड़ा जो भारतीय संविधान और सनातन धर्म से हटकर अपने बनाए हुए नियम और नीति को मध्य प्रदेश की जनता के ऊपर जबरन लागू करते हैं।
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