MP politics : अशोकनगर में भाजपा-कांग्रेस के बीच होता रहा सीधा मुकाबला, लेकिन, भाजपा बाजी मारती रही

MP politics : अशोकनगर में भाजपा-कांग्रेस के बीच होता रहा सीधा मुकाबला, लेकिन, भाजपा बाजी मारती रही
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अशोकनगर जब सामान्य सीट थी तब 1985 में इस सीट से रविंद्र सिंह रघुवंशी कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे उसके बाद कभी कांग्रेस को विजय नहीं मिली। अजा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद 2018 के चुनाव में जजपाल सिंह कांग्रेस के टिकट पर 33 साल बाद जीते थे।

अशोकनगर। अशोकनगर जब सामान्य सीट थी तब 1985 में इस सीट से रविंद्र सिंह रघुवंशी कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे उसके बाद कभी कांग्रेस को विजय नहीं मिली। अजा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद 2018 के चुनाव में जजपाल सिंह कांग्रेस के टिकट पर 33 साल बाद जीते थे। लेकिन अब वे भाजपा में हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने भी पाला बदल लिया था। पहले यहां नगर पालिका पार्षद की टिकट हो या विधानसभा का, सिंधिया के महल से तय होता था लेकिन जब से सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कहा और भाजपा का दामन थामा, तब से कांग्रेस पूरी तरह बदल गई है। पहले कांग्रेस ग्वालियर के महल से चलती थी अब राघौगढ़ के किले से चलती है।

अशोकनगर जिला मुख्यालय की अशोकनगर विधानसभा सीट 2008 में पहली बार अजा वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी। 2003 तक यह सीट सामान्य थी। अब तक यहां जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। 2018 का पिछला चुनाव कांग्रेस के जजपाल सिंह ने जीता था। 2013 का चुनाव भाजपा के गोपी लाल जाटव ने जीता और 2008 का चुनाव भाजपा के लड्डू राम कोरी ने जीता था। 2020 में मध्य प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अशोकनगर के कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह अपने पद से इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे। जिसके कारण 2020 में अशोकनगर सीट पर उपचुनाव हुआ।

इस चुनाव में जजपाल सिंह भाजपा से उम्मीदवार बने और कांग्रेस की आशा दोहरे के बीच मुकाबला हुआ था। जिसमें जजपाल सिंह 14630 मतों से विजयी हुए थे। इस तरह 2018 के विधानसभा चुनाव और 2020 के उपचुनाव दोनों में जजपाल सिंह विधायक बने। एक बार कांग्रेस से और दूसरी बार भाजपा से। लेकिन अशोकनगर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव दिलचस्प होने की संभावना है। अशोकनगर क्षेत्र में अशोकनगर जिला मुख्यालय के साथ-साथ साडोरा तहसील और राजपुर बड़े मुख्यालय शामिल हैं। सबसे अधिक महत्व अशोकनगर शहर के लगभग 60 हजार वोट रखते हैं। इसी तरह शाढ़ोरा और राजपुर बेल्ट भी चुनाव में हार जीत को प्रभावित करते हैं।

अजा के साथ रघुवंशी यादव भी ताकत

अशोकनगर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरणों का भी बड़ा महत्व रहा है। अनुसूचित जाति के मतदाता अधिक होने के कारण अनुसूचित वर्ग के लिए यह सीट सुरक्षित की गई थी। यहां अनुसूचित जाति वर्ग के मत लगभग 35 हजार हैं जबकि रघुवंशी 25 हजार और यादव 20 हजार के आसपास बताए जाते हैं। क्षेत्र में जैन तथा ब्राह्मण मतदाता 12-12 हजार के लगभग हैं। सभी जातियों के मत इस चुनाव में प्रभाव डालते हैं।

देश और प्रदेश सरकारों की योजनाएं भाजपा के लिए मुद्दा हैं। इन्हें लेकर वह चुनाव मैदान में उतर रही है। दूसरी तरफ विधानसभा उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के राजपुर गांव में अशोक नगर को स्मार्ट सिटी बनाने और अशोकनगर जिला मुख्यालय पर कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषणा की थी, किंतु यह दोनों आज तक पूरी नहीं हुई। कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने की कोशिश में है।

जजपाल का दावा मजबूत

भाजपा से वर्तमान विधायक जजपाल सिंह का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। भाजपा में शामिल होने के बाद वे उप चुनाव बड़े अंतर से जीते थे। इसलिए उनका मैदान में उतरना लगभग तया माना जा रहा है। उनके अलावा भाजपा से अन्य दावेदारों में लड्डू राम कोरी ,मुकेश कलावत, सत्येंद्र कलावत, शीला जाटव के नाम शामिल हैं। सभी अपने अपने स्तर पर टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं।

हरीबाबू राय का नाम आगे

कांग्रेस के दावेदारों में हरी बाबू राय का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। कुछ सूत्र उनका नाम लगभग तय बता रहे हैं। अभी सूची आने का इंतजार है। उम्मीदवारी की दौड़ में कांग्रेस की ओर से हरी बाबू राय के अलावा त्रिलोक अहिरवार, आशा दोहरे, अमन चौधरी ,गोपाल कोल ,रमेश इटोरिया आदि के नाम सामने हैं। सभी को कांग्रेस की सूची का इंतजार है।

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