जोहार मप्र...राम-राम... सेवा जोहार, मोर सदा जनजातीय भाई, स्वागत... जोहार करता हूं

भोपाल। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 35 मिनट 10 सेकंड के भाषण में जनजातियों के लिए शुरू की गई योजनाओं से लेकर शिवराज सरकार की कई योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत यह पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। इस पर पूरे विश्व की नजरें हैं। उन्होंने प्रथम जनजातीय राज्यपाल मंगूभाई पटेल की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि उनकी पहचान एक समर्पित आदिवासियों के सेवक के रूप में है। उन्होंने अपना पूरा जीवन जनजातीय समुदाय के लिए खपा दिया। उनका नाम पहले जनजातीय राज्यपाल के रूप में दर्ज हो गया है।
मोदी के 35 मिनट के भाषण में 27 बार तािलयां बजी
मोदी के 35 मिनट 10 सेकंड के भाषण में 27 बार तािलयों की गड़गड़ाहट गूंजा। इस दौरान जनजाति समुदाय के लोगों ने मोदी-मोदी के नारे भी लगाए। मंच पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्याेतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार, फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद एम. मुरूगन, भाजपा अध्यक्ष व सांसद वीडी शर्मा, मप्र के जनजातीय मंत्री सुश्री मीना सिंह, बिसाहू सिंह, विजय शाह, प्रेम सिंह समेत कई सांसद व अन्य लोग मौजूद थे।
जनजातीय गीत जीवन का उत्तम तत्व ज्ञान का संदेश
मोदी ने कहा कि काफी समय तक जनजाति क्षेत्रों में गुजारा है। जनजातीय गीतों को जो मैनें समझा है, उसमें गीत व नृत्य के जरिए अपनी भावनाएं प्रकट की गई है। उन्होंने शरीर चार दिनों का है, अंत में मिट्टी में मिल जाना है। खाना-पीना खूब किया, मौज मस्ती में उम्र बीता, जीवन सफल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जनजातीय गीतों में धरती, खेत, खलिहान के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि अपने मन में गुमान नहीं करना चाहिए। इसे यहीं छोड़कर जाना है। इसे उन्होंने आत्मसात कर लिया है। मोदी ने इसके जरिए एक संदेश भी दिया कि सबसे बड़ी पंूजी व विरासत क्या हो सकती है, इसी सेवा भाव से विश्वास के साथ काम करना है।
रांची में भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय का वर्चुअल शुभारंभ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने इससे पहले रांची में भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय का वर्चुअल शुभारंभ का मौका मिला। यह उनके लिए गौरव का क्षण है कि जनजातीय वीरों को याद कर रहे हैं। उनके नाम पर प्रथम गौरव दिवस मना रहे हैं। नई पीढ़ी को परिचित कराना हमारा कर्तव्य है। खासी, पिजरे, कोल आंदोलन तथा कई संग्राम हुए। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती का शौर्य हम भुला नहीं सकते। रानी कमलापति के बलिदान को देश भूल नहीं सकता है।
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