यह सम्मान मेरा नहीँ, उपेक्षित और अलक्षित को समर्पित मेरी कलम का: डॉ दीपक

यह सम्मान मेरा नहीँ, उपेक्षित और अलक्षित को समर्पित मेरी कलम का: डॉ दीपक
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डॉ देवेंद्र दीपक "दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान" से हुए सम्मानित। उन्होंने कहा कि पसीने की बूँद मेरी कलम का सौन्दर्य शास्त्र है ।अन्त्योदय से सर्वोदय की यात्रा मेरी कलम का समाजशास्त्र है। राष्ट्र हित मेरी कलम का धर्मशास्त्र है ।

भोपाल। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का "पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान वर्ष- 2020 विख्यात साहित्यकार डा देवेन्द्र दीपक ( Dr devendra deepak) को दिया गया । इस सम्मान की सम्मान निधि ₹-5,00,000/- (पाँच लाख) है । सम्मान के विषय में पूछने पर डॉ. दीपक ने बताया, कि यह सम्मान मेरा नहीँ, उपेक्षित और अलक्षित को समर्पित मेरी कलम का सम्मान है। पसीने की बूँद मेरी कलम का सौन्दर्य शास्त्र है ।अन्त्योदय से सर्वोदय की यात्रा मेरी कलम का समाजशास्त्र है। राष्ट्र हित मेरी कलम का धर्मशास्त्र है । ज्ञातव्य हो कि डॉ. देवेंद्र दीपक पूर्व निदेशक- परीक्षा पूर्ण प्रशिक्षण केंद्र म.प्र. हिंदी ग्रन्थ अकादमी एवं पूर्व निदेशक- निराला सृजन पीठ रहे हैं। अनेकों सम्मान प्राप्त डॉ दीपक का एक बहु प्रसारित वाक्य हैं-- "जल से नहाया आदमी स्वच्छ होता है, लेकिन पसीने से नहाया आदमी पवित्र होता है।" भोपाल डॉ गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश', गोकुल सोनी, डॉ मोहन तिवारी आनंद, डॉ रामवल्लभ आचार्य, अशोक धमैनियाँ, मनोज जैन 'मधुर, घनश्याम मैथिल 'अमृत', कान्ता रॉय, पुरुषोत्तम तिवारी, चंद्रभान राही के साथ ही कई साहित्यकारों ने इस महत्वपूर्ण सम्मान पर उनको बधाई दी है।

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