MP के इस गांव ने कायम की मिसाल, कोरोना की दोनों लहरों में गांव में एक भी केस नहीं

MP के इस गांव ने कायम की मिसाल, कोरोना की दोनों लहरों में गांव में एक भी केस नहीं
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गांव वालों के प्रयास से संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अभी तक गांव में एक भी मरीज सामने नहीं आया है। अब यह गांव कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए भी तैयार बैठा है। पढ़िए पूरी खबर-

मुरैना। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते हालात खौफनाक और बेकाबू होते जा रहे हैं। एक ओर कोरोना संक्रमण से लोगों के बचाने के लिए प्रशासन एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। धीरे-धीरे संक्रमण शहर से लेकर गांव तक पहुंच रहा है। ऐसे में एक गांव के लोगों ने कोरोना को हराने की ठान रखी है। गांव वालों के प्रयास से संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अभी तक गांव में एक भी मरीज सामने नहीं आया है। अब यह गांव कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए भी तैयार बैठा है। अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या किया है इस गांव के ग्रामीणों ने कि संक्रमण अभी तक इनको छू नहीं पाया है।

जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र का यह गांव खुर्द पंचायत है। 35 सौ से अधिक आबादी वाला यह गांव अभी तक कोरोना से पूर्ण रूप से मुक्त है। कोरोना महामारी संकट में जहां शहरी और ग्रामीण इलाके भी अछूते नहीं है, वही इस गांव में संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अभी तक एक भी संक्रमित व्यक्ति सामने नहीं आया है। आखिरकार क्या कारण है, इस गांव में जो कोरोना संक्रमण इस गांव से दूरी बनाए हुए हैं। संवाददाता ने जब इस गांव में पहुंचकर पड़ताल की तो पाया कि, ग्रामीणों की कोविड-19 के प्रति जागरूकता, सतर्कता और प्रयासों के चलते यह संभव हो पाया है। संक्रमण को रोकने की पहल में गांव में महिलाओं का स्व सहायता समूह है, जो इस गांव को कोरोना संक्रमण से बचाने में जुटी हुई है। इन महिलाओं द्वारा गांव में बने पंचायत भवन और स्कूल पर निगरानी रखी जाती है।

ग्रामीणों द्वारा गांव की मुख्य सड़क पर बैरियर लगाकर बाकायदा समय-समय पर पहरेदारी की जा रही है। ताकि चोरी छुपे गांव के अंदर और बाहर कोई आ और जा ना सके। गांव के प्रवेश द्वारों पर आने जाने वाले लोगों का तापमान जांचने के बाद ही मास्क लगाकर उन्हें अंदर आने की इजाजत दी जाती है। फिर चाहे वह गांव का दामाद हो या फिर रिश्तेदार हो सभी को इस प्रक्रिया से गुजरना होता है। खास बात यह है, कि जो कोई रिश्तेदार गांव में रुकने आता उसे पहले 14 दिन क्वॉरेंटाइन रहना पड़ता है। इस दौरान वह ना तो घर से निकलेगा और ना ही गांव में घूम सकेगा। संक्रमण से बचने के लिए कॉविड गाइडलाइन नियमो का सहारा लेते हुए ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ, जागरूकता और प्रयासों के जरिए इस भयानक बीमारी कि गांव में एंट्री पर रोक लगा रखी है।

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