पूर्व टीआई समेत तीन पुलिसकर्मियों ने किया सरेंडर, वकील से मारपीट का मामला

पूर्व टीआई समेत तीन पुलिसकर्मियों ने किया सरेंडर, वकील से मारपीट का  मामला
X
एडवोकेट मोहर सिंह कौरव के साथ मारपीट का मामला, पुलिस टीआई धनेंद्र भदौरिया की याचिका पर कोर्ट का आदेश था-‘पहले वह सरेंडर करें, तब करेंगे सुनवाई।’ पढ़िए पूरी खबर-

दतिया। मध्यप्रदेश के दतिया के सिटी कोतवाली में पदस्थ पूर्व टी आई धनेंद्र सिंह भदोरिया और पुलिस आरक्षक ज्ञानेंद्र शर्मा और आरक्षक विजय कौशल ने जिला न्यायालय की सिविल जज रिचा गोयल की कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। दोनों के खिलाफ दतिया एडवोकेट मोहर सिंह कौरव के साथ मारपीट का मामला है। इस मामले में पुलिस टीआई धनेंद्र भदौरिया ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट का आदेश था कि पहले वह सरेंडर करें, तब करेंगे सुनवाई।

ये है मामला

गौरतलब है कि साल 2012 में वर्तमान में कलेक्टोरेट में ही न्यायालय था। वकील भी इसी भवन में बैठते थे। छत से पानी टपकने की समस्या को लेकर सभी वकील सामूहिक रूप से तत्कालीन कलेक्टर जीपी कबीरपंथी को ज्ञापन देने पहुंचे। ज्ञापन देने के दौरान वकीलों का कलेक्टर कबीरपंथी के साथ मुंहवाद हो गया था। कलेक्टर ने वकील कौरव को अपनी निगाह पर चढ़ा लिया। बाद में कलेक्टर व एसपी ने मिल कर कलेक्टर के गनर राजकुमार शर्मा के आवेदन पर कोतवाली में वकील के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज कराया। उसी रात करीब 12 बजे तत्कालीन एसडीओपी एमएल दौंडी, टीआई रवींद्र गर्ग, एसओ धनेंद्र भदौरिया, सुधांशु तिवारी, राजेंद्र ध्रुवे, आरक्षक ज्ञानेंद्र शर्मा, साहब सिंह, विजय सिंह ने एडवोकेट श्री कौरव के घर में घुसकर उन्हें उठा लिया था। फिर उनकी बेरहमी से मारपीट की गई।

सुबह होते ही सभी वकील धरने पर बैठ गए। शाम करीब चार बजे पुलिस ने श्री कौरव को न्यायालय में पेश किया। इसके बाद जिलेभर के वकील कलेक्टर और एसपी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए। यह हड़ताल 29 दिन तक चली। एक दिन पूरे प्रदेश के वकील हड़ताल पर रहे थे।

मामले में तत्कालीन दतिया कोतवाली टीआई भदौरिया ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की लेकिन कोर्ट ने सरेंडर करने की शर्त पर ही सुनवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टीआई पहले सरेंडर करें, इसके बाद 26 मार्च को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। टीआई सहित आठ लोगों के खिलाफ वकील मोहर सिंह कौरव ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिकायत की थी। न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्यायालय की कार्रवाई को चुनौती दी गई, लेकिन आरोपियों को कहीं से भी राहत नहीं मिली।

Tags

Next Story