परेशान महिला युवा उद्योगपति ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखी यह बात

परेशान महिला युवा उद्योगपति ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखी यह बात
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पिपलानी थाना क्षेत्र स्थित बालाजी नगर में गुरुवार दोपहर महिला उद्योगपति ने फांसी लगा ली। परिजन उन्हें फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए, लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी। उनके पास से पास एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मैं काफी परेशान हो गई हूं। मेरी कंपनी कर्ज में डूब गई है। मेरी वजह से परिजन भी परेशान हैं, मैं उनके सवालों का जवाब तक नहीं दे सकती। सुसाइड नोट में उन्होंने परिजन से माफी भी मांगी है।

भोपाल। पिपलानी थाना क्षेत्र स्थित बालाजी नगर में गुरुवार दोपहर महिला उद्योगपति ने फांसी लगा ली। परिजन उन्हें फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए, लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी। उनके पास से पास एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मैं काफी परेशान हो गई हूं। मेरी कंपनी कर्ज में डूब गई है। मेरी वजह से परिजन भी परेशान हैं, मैं उनके सवालों का जवाब तक नहीं दे सकती। सुसाइड नोट में उन्होंने परिजन से माफी भी मांगी है। उन्होंने कहा कि भगवान मेरी परिवार का ध्यान रखना। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव पीएम के बाद परिजन को सौंप दिया है। पुलिस पता लगा रही है कि उनपर आखिरकार कितना कर्ज था।

पुलिस ने बताया कि स्वाती दांगी पिता हेमसिंह दांगी (31) मूलत: बैरसिया की रहने वाली थी। वह अपने भाई धनवीर सिंह दांगी और भाभी के साथ बालाजी नगर पिपलानी में किराए के मकान में रहती थी। स्वाती एलईडी बल्ब और इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट बनाने वाली एक कंपनी का संचालन करती थी। लांबाखेड़ा में समर्था इंडस्ट्रीज के नाम से उन्होंने फैक्टरी है। फैक्टरी में दर्जनभर कर्मचारी काम करते हैं। उन्होंने अपना कार्यालय घर के पास ही बालाजी नगर में बनाया है। गुरुवार को स्वाती घर पर अकेली थी, जबकि भाई धनवीर सिंह ड्यूटी पर चले गए थे। दोपहर बाद उनकी भाभी सिलाई सीखने चली गई। शाम करीब साढ़े चार बजे भाभी घर लौटी तो दरवाजा खुला मिला और स्वाती अपने कमरे में फांसी के फंदे पर लटकी नजर आई। भाभी ने तत्काल ही पति को कॉल कर घटना की जानकारी दी। धनवीर घर पहुंचे और स्वाति को इलाज के लिए अस्पताल लेकर गए, वहां डॉक्टर ने चेक करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

चार साल पहले शुरू की थी कंपनी

प्रारंभिक पूछताछ में भाई ने पुलिस को बताया कि करीब चार साल पहले स्वाती ने अपनी कंपनी शुरू की थी। उसके नाम पर कई लोन चल रहे थे, जिसके लिए बैंकों से फोन आया करते थे। बिजनेस में जितना पैसा आता था, वह लोन की किश्त चुकाने में चला जाता था। इसको लेकर वह परेशान रहती थी। हालांकि अभी तक यह खुलासा नहीं हो सका है कि स्वाती पर कितना कर्जा हो गया था।

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