Tumda FSTP : 12 ग्राम पंचायतों के चालीस गांवों के ‘टॉयलेट’ से बनेगी खाद, पौधों के लिए मिलेगा पानी

Tumda FSTP : 12 ग्राम पंचायतों के चालीस गांवों के ‘टॉयलेट’ से बनेगी खाद, पौधों के लिए मिलेगा पानी
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गांव में सेप्टिक टेंक से निकलने वाले मल को अब खुले में फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिसके लिए तूमड़ा में एफएसटीपी प्लांट बनाया जा रहा है। इस सेप्टिक टेंक में 12 ग्राम पंचायतों के 40 गांवों का अपशिष्ट इस टैंक में डाला जाएगा। जिसको ट्रीट करने पर खाद और पौधों के लिए पानी मिल जाएगा।

भोपाल। गांव में सेप्टिक टेंक से निकलने वाले मल को अब खुले में फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिसके लिए तूमड़ा में एफएसटीपी प्लांट बनाया जा रहा है। इस सेप्टिक टेंक में 12 ग्राम पंचायतों के 40 गांवों का अपशिष्ट इस टैंक में डाला जाएगा। जिसको ट्रीट करने पर खाद और पौधों के लिए पानी मिल जाएगा। जिले के 629 गांवों के मल अपशिष्ट को ट्रीट करने के लिए रुनाहा और डोब में भी प्लांट का काम शुरु किया जाएगा।

मलीय अपशिष्ट को यहां ट्रीट किया जाएगा

जिले का पहला फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) ग्राम पंचायत तूमड़ा में बनकर तयार हो गया है। जिसका 95 फीसदी तक काम पूरा हो चुका है। इसके शुरू होने के बाद सेप्टिक टैंक की सफाई के मामले में जिले के गांव नगर निगम के भरोसे नहीं रहेंगे। बुधवार को जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह ने ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य का जायजा लेकर इसे 5 अगस्त तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके क्लस्टर स्तर पर क्रियान्वयन के लिए प्रथम चरण में 12 पंचायतों के लगभग 40 गांवों का चयन किया गया है। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घरों से निकलने वाले मलीय अपशिष्ट को यहां ट्रीट किया जाएगा।

प्रदेश का दूसरा एफएसटीपी

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्राम पंचायत तूमड़ा में निर्मित किया जाने वाला एफएसटीपी प्रदेश का दूसरा प्लांट होगा। दरअसल गांव के घरों में टॉयलेट का गटर 3 से 4 वर्ष में भर जाता है। जिसे खाली कराने के लिए ग्रामीणों को निजी तौर पर निर्भर होना पड़ता था। निजी सेवा प्रदाता द्वारा मलीय अपशिष्ट घरों से इकठ्ठा कर खुले में फेंक दिया जाता था। एफएसटीपी से अपशिष्ट को ट्रीट किया जाएगा।

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