पांच सालों में जारी 12 हजार बिल्डिंग परमिशन की जांच शुरू, घपले की आशंका

भोपाल। बीते पांच वर्षों में बिल्डिंग परमिशन शाखा द्वारा जारी भवन अनुज्ञा एवं विकास से संबंधित 12 हजार फाइलों की जांच की जाएगी। ये सभी अनुमतियां बीते पांच वर्षों में जारी की गई हैं। नगर निगम आयुक्त को आशंका है कि संबंधित मामलों में भवन अनुज्ञा एवं विकास शुल्क वसूलने में आर्किटेक्ट द्वारा बिल्डिंग परमिशन जारी करने में लापरवाही बरती गई है। भूमि स्वामियों को फायदा पहुंचाने के लिए आर्किटेक्ट ने आंकड़ो में हेरफेर कर कम राशि जमा कराई है। जिससे नगर निगम को राजस्व की हानि हुई है। अब ऐसे भूमि स्वामियों को चिंहित कर बची हुई राशि की वसूली की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार ने 2016 से निजी आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चर इंजीनियर को भवन अनुमति जारी करने के लिए बिल्डिंग परमिशन कंसल्टेंट नियुक्त किए हैं। इन्हें 300 वर्ग मीटर या तीन वर्ग फीट तक की भूमि पर भवन अनुज्ञा एवं विकास अनुमतियां जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है। जबकि 300 वर्ग मीटर से अधिक की भूमि पर भवन अनुज्ञा की अनुमति के लिए बिल्डिंग परमिशन शाखा में आवेदन करना होता है। नगर निगम भोपाल के मुख्य नगर निवेशक नीरज आनंद लिखार ने बताया कि बीते पांच वर्षों में कंसल्टेंट द्वारा 12 हजार से अधिक अनुमतियां जारी की गई हैं। इनकी जांच की जा रही हैए कि कहीं ये अनुमतियां अवैध कालोनियों में तो नहीं की गई है। साथ ही आर्किटेक्ट से मिलीभगत कर भूमि स्वामियों द्वारा बिल्डिंग परमिशन शाखा में भवन अनुज्ञा शुल्क कम जमा करने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसकी भी जांच की जाएगी।
निगमायुक्त की समीक्षा में सामने आया है कि बिल्डिंग परमिशन जारी होने के बाद भी बड़ी मात्रा में आर्किटेक्ट ने फाइलें नगर निगम में जमा नहीं कराई है। वहीं 400 भूस्वामियों ने भवन अनुज्ञा एवं विकास के साथ लिया जाने वाला कर्मकार कल्याण शुल्क भी जमा नहीं किया है। यह राशि नगर निगम द्वारा कर्मकार कल्याण आयोग को दी जाती है। इसका उपयोग दैनिक मजदूर और कर्मकारों के हित में किया जाता है।
इनका कहना
2016 के बाद जारी की गई विकास अनुमतियों की जांच की जा रही है। कंपाउंडिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इसमें तेजी लाई जाएगी। जहां आर्किटेक्ट द्वारा जानबूझ कर नियम विरुद्ध भवन अनुज्ञा जारी की गई हैए उनका लाइसेंस कैंसिल किया जाएगा। कम पैसा जमा करने वाले भूमि स्वामियों से अतिरिक्त राशि की वसूली की जाएगी।
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