नगरीय निकाय चुनाव : आरक्षण प्रक्रिया रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार, मंत्री ने दी SLP दायर करने की मंजूरी

नगरीय निकाय चुनाव : आरक्षण प्रक्रिया रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार, मंत्री ने दी SLP दायर करने की मंजूरी
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कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा कि शासन ने आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। रोटेशन प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के लिए 10 व 11 दिसंबर 2020 को जारी आरक्षण अधिसूचना पर रोक लगा दी। कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा कि शासन ने आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। रोटेशन प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के इस फैसले को सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। इसके लिए जल्दी ही विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की जाएगी। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति दे दी है। सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट यदि हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराती है तो सभी निकायों में महापौर-अध्यक्ष के लिए फिर से आरक्षण होगा।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि महापौर और अध्यक्षों के लिए आरक्षण 1994 में बने नियमों के अनुसार किया है। इनके आरक्षण के लिए पिछले साल 10 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन में किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं है। सरकार को लगता है कि आरक्षण प्रक्रिया में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं की गई है और कोर्ट इस स्थिति में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। ऐसे में सरकार सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर रही है।

इधर, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका के लंबित होने के चलते नए सिरे से रोटेशन पद्धति को अपनाते हुए आरक्षण करने पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं रहेगी। इसके बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के साथ ही चुनाव कराया जा सकेगा। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि 15 मार्च तक निकाय चुनाव की घोषणा होने की संभावना थी, लेकिन अब इस प्रकरण का निपटारा हुए बिना नगरीय निकाय के चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष का आरक्षण एक साथ होता है। इसमें आबादी व रोटेशन दोनों को आधार बनाया जाता है।

एडवोकेट मानवर्धन सिंह तोमर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने कहा कि अभी रोटेशन पद्धति की अनदेखी करते हुए अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण किया गया है। इससे एक वर्ग का व्यक्ति लगातार दो बार चुनाव लड़ सकेगा और गैर आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए इस पर अंतरिम रोक लगाई जाती है।

डबरा नगर पालिका और इंदरगढ़ नगर परिषद के मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट को बताया कि चूंकि कोर्ट ने केवल दो निकाय के अध्यक्ष पद के लिए किए गए आरक्षण पर ही रोक लगाई है। इसलिए शासन ने शेष स्थानों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि अभी चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है।

डिविजनल कमिश्नर बने रहेंगे प्रशासक, बजट को मंजूरी देंगे

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है, ऐसे में साफ है कि नगरीय निकाय चुनाव फिलहाल टाले जाएंगे। ऐसे में डिविजनल कमिश्नर नगर निगमों के प्रशासक बने रहेंगे। वे जल्दी ही नगर निगमों के बजट को मंजूरी देंगे।

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