हादसे के शिकार, फिर भी कोरोना योद्धाओं ने नहीं छोड़ा यह काम...

भोपाल। पिछले साल मार्च में आई कोरोना महामारी की जद में आकर शहर में अब तक करीब एक हजार लोगों की मौतें हो चुकीं हैं। वायरस के गंभीर संक्रमण से बचाने के लिए 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू किया गया था। भोपाल जिले में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 19.49 लाख लोगों के वैक्सीनेशन में स्वास्थ्य कर्मियों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। किसी स्वास्थ्य कर्मी के पति की मौत हुई तो किसी की मां तो किसी के पिता चल बसे। खुद को तसल्ली देने और परिजनों को सांत्वना देकर कोरोना योद्धा अपना दर्द भूलकर वैक्सीनेशन में जुटे रहे। करीब 180 दिनों में राजधानी की साढे़ 19 लाख आबादी को पहला डोज लगाकर वैक्सीनेटेड किया जा चुका है। यही नहीं 55 फीसदी आबादी को दूसरा डोज लगाकर फुली वैक्सीनेटेड भी किया जा चुका है।
भाई के निधन से शोक, फिर भी मशीनें सुधारीं
भोपाल जिले भर में वैक्सीन को स्टोर करने वाले कोल्ड चेन एक्विपमेंट्स का मेंटेनेंस, सुधार करने वाले टेक्नीशियन अजय सक्सेना के भाई की दो महीने पहले मृत्यु हो गई थी। वे घर पहुंचे कि वैक्सीन स्टोर में एक मशीन खराब होने की सूचना मिली। अजय ने परिवार और खुद के दुख को फर्ज के सामने किनारे कर वैक्सीन स्टोर पहुंचकर मशीन रिपेयर की ताकि वैक्सीन के डोज खराब न हों।
हाथ फ्रेक्चर हुआ, प्लास्टर चढ़वा लौटे ऑफिस
सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ डाटा एंट्री ऑपरेटर इरफान खान कोरोना संकट के शुरूआती दौर से ही डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रहे हैं। जनवरी से शुरू हुए वैक्सीनेशन में भी इरफान को अहम जिम्मेदारी दी गई। मार्च में एक मीटिंग में जाते वक्त एक्सीडेंट में इनके एक हाथ में फे्रक्चर हो गया। स्टाफ के लोग जेपी अस्पताल लेकर पहुंचे यहां एक्स-रे कराने के बाद प्लास्टर चढ़वा कर दो घंटे बाद ही उन्होंने ऑफिस में एक हाथ के सहारे काम शुरू कर दिया। इरफान कहते हैं ये हमारी परीक्षा का समय था, चोट का बहाना बनाकर घर बैठ जाते तो बहुत सा काम पिछड़ जाता।
हादसों से भी नहीं डिगा हौसला
गांधी नगर के टीलाखेड़ी में पदस्थ एएनएम मनीषा का एक्सीडेंंट में एक पैर फे्रक्चर हो गया था। वे प्लास्टर चढ़े हुए पैर के साथ वैक्सीनेशन करने पहुंची। लालरिया में पदस्थ सीएचओ एकता पटेल बीते 17 सितंबर को अपने घर लौट रहीं थीं, एक कार ने अचानक ब्रेक लगा दिए, इससे वे गिरीं और हाथ फे्रक्चर हो गया। वे ड्यूटी पर आने लगीं तो अधिकारियों ने फ्रेक्चर के चलते आराम करने की सलाह दी। लेकिन वह काम में डटी रहीं।
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