शिक्षक ने क्यों कहा था, 5 सौ में तो गंगा विंध्याचल से ही निकलेगी, मुख्यमंत्री शिवराज ने शिक्षकों को ही सुनाया यह वाकया, बोले-शिक्षक नौकर नहीं निर्माता

भोपाल। मध्य प्रदेश के 14 हजार से ज्यादा नवनियुक्त शिक्षकों की रविवार को भेल दशहरा मैदान में आयोजित ट्रेनिंग को संबाेधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई रोचक घटनाएं सुनाईं। उन्होंने कहा कि जब वे सांसद थे तो एक स्कूल गए और बच्चों से पूछा कि गंगा कहां से निकलती है। बच्चे का जवाब था - विंध्याचल से। मैंने स्कूल के गुरूजी से पूछा तो उन्होंने कहा कि 5 सौ रुपए में तो गंगा विंध्याचल से ही निकलेगी। चौहान ने कहा कि इस तरह शिक्षकों के साथ बच्चों का भी भविष्य चौपट था। हमने सभी की चिंता की क्यों कि शिक्षक नौकर नहीं निर्माता है।
गुरु जी के नाते किया प्रणाम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने टीचरों को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने गुरुजी के नाते आपको प्रणाम किया है, आप सब मेरे छोटे भाई-बहन हैं, शिक्षक नौकर नहीं निर्माता हैं। आप हमारे भांजे-भांजियों के गुरु हैं। आप बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु हैं। आप जैसे बच्चों को गढ़ेंगे वैसे बच्चे अपना भविष्य गढ़ेंगे।
सातवी में ही कर दिया बड़ा आंदोलन
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने स्कूली जीवन के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि स्कूल की शिक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं जैत और भोपाल के सरकारी स्कूल में पढ़ा। मेरे गुरुजी श्रद्धेय रतनचंद जैन के पैरों पर सिर रखकर आशीर्वाद हमेशा लेता था। मेरे गुरूजी ने मुझे एक मंत्र दिया था। शिवराज ये मत समझो तुम गांव में किसान के घर पैदा हुए तो क्या कर सकते हो। उन्होंने मेरे दिमाग में भर दिया कि तुम अनंत शक्तियों का भंडार हो, सब कुछ कर सकते हो। इसके बाद सातवीं कक्षा में मैंने बड़ा आंदोलन कर दिया था।
योग शिक्षा से बनाएंगे निरोगी
मुख्यमंत्री ने मप्र में पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी होने की जानकारी देते हुए कहा कि बच्चों को योग की शिक्षा देकर उन्हें निरोगी बनाने की पहल की जाएगी। बच्चों के पालकों से संवाद का एक सिस्टम भी तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटियों के साथ दुराचार की 82 फीसदी घटनाओं में पहले से परिचित लोग करते हैं। 5-6 फीसदी ऐसी घटनाओं में निकट के रिश्तेदार होते हैं। कई बार मेरी आत्मा रोती है कि पिता ने अपनी बेटी के साथ ही ऐसा कृत्य कर दिया।
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