Mahakal Sawari : महाकाल की सवारी में सिधिया परिवार का शामिल होना क्यों जरूरी, जानिए बड़ा राज

Mahakal Sawari : महाकाल की सवारी में सिधिया परिवार का शामिल होना क्यों जरूरी, जानिए बड़ा राज
X
मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थिति बाबा महाकाल की शाही सवारी निकाली जा रही है। महाकाल की सवानी में देशभर से लोग और वीवीआई भी शामिल होते है। बाबा की सवारी में खास तौर पर मध्यप्रदेश के ग्वालियर का शाही राज परिवार सिंधिया परिवार का एक सदस्य मुख्य रूप से बाबा महाकाल की आरती उतारने जरूर आता है।

Mahakal Sawari : मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थिति बाबा महाकाल की शाही सवारी निकाली जा रही है। महाकाल की सवानी में देशभर से लोग और वीवीआई भी शामिल होते है। बाबा की सवारी में खास तौर पर मध्यप्रदेश के ग्वालियर का शाही राज परिवार सिंधिया परिवार का एक सदस्य मुख्य रूप से बाबा महाकाल की आरती उतारने जरूर आता है।

सोमवार को उज्जैन में निकाली जा रही शाही सवारी में शामिल होने के लिए केंन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल होने आ रहे है। वे आज उज्जैन के रामघाट पर बाबा महाकाल की आरती उतारेंगे और पूजा में शामिल होंगे। बाबा महाकाल की शाही सवारी में इससे पहले सिंधिया परिवार की राज माता भी उज्जैन आ चुकी है। वही यशोदा राजे भी महकाल की सवारी का हिस्सा रही हैं। बाबा की सवारी में शामिल होने की यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। बाबा की सवारी में सिंधिया परिवार का एक सदस्य जरूर

शामिल होता आया है। सिंधिया परिवार हमेशा से भादो माह के दूसरे सोमवार को सवारी में शामिल होता है। भादों महा के दूसरे सोमवार यानि 11 सितंबर को सिंधिया परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया बाबा महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए उज्जैन आ रहे हैं। यह शाही सवारी लाव लश्कर के साथ निकाली जाती है।

सिंधिया परिवार सवारी में क्यों होता है शामिल?

महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष पंडित के अनुसार यह परंपरा प्राचीन काल से निभाई जा रही है। पुजारी के अनुसार बाबा की सवारी को सिंधिया स्टेट के समय में भव्य रूप दिया गया था। उस समय सिंधिया परिवार द्वारकाधीश और बाबा महाकाल की सवारी की आरती करता आया हैं और यह परंपरा आज भी निभाई जाती है।

क्यों निकाली जाती है सवारी

महाकाल मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर के बाहर पशु, पक्षी, जीव और जो भक्त अंदर नहीं जा पाते है, उन्हें बाबा महाकाल सावन, कार्तिक, भादों और मास के दिनों में दर्शन देने के लिए बाहर आते है। बाबा महाकाल की सवारी दशहरे के दिन भी निकाली जाती है।

Tags

Next Story