BHOPAL NEWS; राजधानी में बंगाली समुदाय की महिलाओ ने खेला सिंदूर, माँ दुर्गा की विदाई आज, जानें महत्त्व और इतिहास

BHOPAL NEWS; राजधानी में बंगाली समुदाय की महिलाओ ने खेला सिंदूर, माँ दुर्गा की विदाई आज, जानें महत्त्व और इतिहास
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इसी कड़ी में भोपाल के कालीबाड़ी में भी बंगाली समुदाय की महिलाओ ने यह खास रस्म निभाई। बता दें कि यह रस्म सिर्फ दुर्गा मां के पंडाल में ही निभाई जाती है। सिंदूर की होली बंगाल से लेकर काशी तक खेली जाती है।

भोपाल; देशभर में आज दुशहरा की धूम हर जगह देखने को मिल रही है। तो वही दूसरी तरफ माँ दुर्गा की विदाई भी होने जा रही है। जिसके चलते आज राजधानी में सिंदूर खेला का आयोजन किया गया है। बता दें कि सिंदूर खेला का बंगाली समाज में काफी महत्व है। रिवाज के अनुसार बंगाली महिला एक दूसरे के साथ सिंदूर खेलती है और पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसी कड़ी में भोपाल के कालीबाड़ी में भी बंगाली समुदाय की महिलाओ ने यह खास रस्म निभाई। बता दें कि यह रस्म सिर्फ दुर्गा मां के पंडाल में ही निभाई जाती है। सिंदूर की होली बंगाल से लेकर काशी तक खेली जाती है।

महिलाओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ किया पारंपरिक डांस

बता दें कि सिंदूर खेला का आयोजन टीटी नगर स्थित कालीबाड़ी में किया गया है। जिसमे में बंगाली समाज की महिलाएं सिंदूरी खेला कर रही है। इस दौरान देवी मां को सिंदूर लगाते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ पारंपरिक डांस किया गया। बता दें कि हर साल बच्चन परिवार इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुँचती है। लेकिन इस बार निजी कारणों के चलते बच्चन परिवार सिंदूर खेला में शामिल नहीं हो सका।

जानें क्या होता है सिंदूर खेला

सिंदूर खेला का शाब्दिक अर्थ है ‘सिंदूर का खेल’. इसे खासतौर से बंगाली हिंदू महिलाएं नवरात्रि के आखिरी दिन मनाती हैं. परंपरागत रूप से, यह अनुष्ठान विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जिन्हें सिंदूर खेला खेलते समय एक निर्धारित रिवाज और प्रोटोकॉल का पालन करना होता है, यह मानते हुए कि यह उनके लिए सौभाग्य और उनके पति के लिए लंबी उम्र लाएगा।

जानें इस त्योहार के पीछे की पूरी कहानी

दुर्गा महोत्सव पर सिंदूर खेला का इतिहास करीब 450 साल पुराना है. बंगाली समुदाय में विजयादशमी के दिन सिंदूर खेल के साथ-साथ धुनुची नृत्य की परंपरा भी निभाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार धुनुची नृत्य करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. इसे मनाने के पीछे मान्यता यह है कि मां दुर्गा प्रसन्न होंग।

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